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लोकसभा सोमवार तक स्थगित

Nri Rashtriya
Last updated: July 25, 2025 10:54 am
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नई दिल्ली (नेहा): लोकसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने बिहार में जारी मतदाता सूची के एसआईआर के मुद्दे पर मॉनसून सत्र के लगातार पांचवें दिन शुक्रवार को भी हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। मानसून सत्र की शुरुआत सोमवार को हुई थी और निचले सदन में आज लगातार पांचवें दिन भी प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं चल सका।

सुबह 11 बजे जैसे ही अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू कराया, विपक्षी दलों के सदस्य ‘SIR वापस लो’ के नारे लगाने लगे। बिरला ने हंगामा कर रहे सदस्यों के तख्तियां दिखाने और नारेबाजी करने पर निराशा जताया। कहा कि मैं पिछले कुछ दिन से देख रहा हूं कि सदन को नियोजित तरीके से बाधित किया जा रहा है। असहमति जताने का यह तरीका सही नहीं है।

उन्होंने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह सदस्यों का समय होता है, जिसमें वे प्रश्न पूछते हैं और सरकार की जवाबदेही तय करते हैं। बिरला ने कहा कि विपक्ष के सदस्य जिस भी मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं, सरकार से बात करके उसका निर्णय लिया जा सकता है, लेकिन उन्हें गतिरोध समाप्त करना चाहिए। इस बीच, उन्होंने विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह को पूरक प्रश्न का उत्तर देने को कहा, लेकिन हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही 11 बजकर 05 मिनट पर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 2 बजे फिर शुरू होने पर विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन में नारेबाजी करना जारी रखा। वे अपने स्थान पर खड़े होकर ‘SIR वापस लो’, ‘SIR पर चर्चा करो’ नारे लगा रहे थे। पीठासीन सभापति जगदंबिका पाल ने नारेबाजी कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों से सदन का कामकाज सुचारू रूप से चलने देने का आग्रह करते हुए कहा कि आप स्वयं यह समीक्षा करें कि यह हंगामा किसके हित में है? इसका लाभ किसे मिलेगा? जिन्होंने आपको चुन कर भेजा है, क्या उन्हें इसका लाभ मिलेगा?

पीठासीन सभापति ने विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा पूरे सप्ताह सदन की कार्यवाही में व्यवधान डाले जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर आप सदन की कार्यवाही को बार-बार स्थगित करेंगे तो यह कोई उपलब्धि नहीं है, बल्कि लोकतंत्र के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है। पूरे देश को नुकसान हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि 200 सदस्यों के निजी विधेयक हैं और आज का दिन गैर सरकारी कामकाज के लिए सूचीबद्ध है।

पाल ने कहा कि यह गतिरोध कैसे खत्म होगा, इसे लेकर सदन चिंतित है और पूरा देश चिंतित है। शनिवार और रविवार को, छुट्टी के दिन आप अपने क्षेत्र की जनता से पूछें कि क्या वे आपको सदन में हंगामा करते देखना चाहते हैं या अपनी समस्याओं पर चर्चा करते देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। लोकसभा अध्यक्ष ने भी पहल की है। सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर एक रास्ता निकाला है। वहीं, सरकार आश्वस्त कर रही है कि वह हर विषय पर चर्चा के लिए और जवाब देने को तैयार है।

इस बीच पीठासीन सभापति ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को गोवा से संबंधित एक विधेयक चर्चा करने के लिए रखने को कहा। मेघवाल ने आज की कार्यसूची में सूचीबद्ध ‘गोवा राज्य विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का समायोजन विधेयक, 2024 का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पर चर्चा कराई जाए। वह जवाब देने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि यह विधेयक गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व से संबंधित है और बहुत महत्वपूर्ण है। मेघवाल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे अनुसूचित जनजाति के विषय पर चर्चा ही नहीं करना चाहते। विपक्षी दलों के सदस्यों का हंगामा नहीं थमने पर पीठासीन सभापति ने कहा कि कि आपके हंगामे के कारण पूरे सप्ताह सदन में कामकाज नहीं हो सका। इसके साथ ही उन्होंने दोपहर 2:13 बजे सदन की कार्यवाही सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

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चीन में बच्चा पैदा करने पर ₹1.30 लाख देगी सरकारबीजिंग (नेहा): चीन सरकार ने जनसंख्या में लगातार हो रही गिरावट को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब देश में अगर कोई दंपती बच्चा पैदा करता है तो उन्हें लगभग ₹1.30 लाख (13,000 युआन) की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस स्कीम का उद्देश्य लोगों को प्रजनन के लिए प्रोत्साहित करना है। ध्यान रहे कि चीन की जन्म दर पिछले सात बरसों में आधे से भी कम हो चुकी है। एक ही बच्चा पैदा करने की परिवार नियोजन स्कीम चीन की कम होती जनसंख्या का एक प्रमुख कारण है। सन 2016 में जहां हर 1,000 लोगों पर लगभग 13.6 जन्म होते थे, वहीं 2023 तक यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 6.3 रह गया है। यह देश के भविष्य के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। चीन में अब कुल आबादी का लगभग 21% हिस्सा 60 साल से ज्यादा उम्र का है। वहीं युवाओं की संख्या में तेजी से कमी आई है। इससे देश की अर्थव्यवस्था और कार्यबल दोनों पर दबाव बढ़ रहा है। चीन की लंबे समय तक लागू रही ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ का असर अब साफ नजर आने लगा है। दशकों तक एक ही बच्चा होने की सरकारी नीति ने जन्मदर को तो रोका, लेकिन अब वही नीति जनसंख्या असंतुलन की वजह बन गई है। अब चीन न केवल दो बच्चों की अनुमति दे रहा है, बल्कि लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहा है। नई योजनाओं में आर्थिक सहायता, टैक्स छूट, और बेहतर मातृत्व सुविधाएं शामिल हैं। यह बदलाव खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में लागू किया जा रहा है। अब सवाल यह है कि क्या ₹1.30 लाख जैसी स्कीम वाकई परिवार बढ़ाने को प्रेरित कर पाएगी? पिछले वर्षों में जापान, दक्षिण कोरिया और इटली जैसी आबादी संकट झेल रहे देशों ने भी प्रोत्साहन राशि दी थी, लेकिन वहां असर सीमित रहा। ऐसे में सवाल यह है कि क्या चीन की सामाजिक और आर्थिक संरचना इस योजना को सफल बना पाएगी? चीन सरकार बच्चों के जन्म देने को प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन कई चीनी महिलाएं अब विवाह और मातृत्व को टाल रही हैं। वे करियर प्राथमिकता, बढ़ती जीवन लागत और बच्चा पालन में सहयोग की कमी के कारण युवा पीढ़ी कम बच्चे चाहती है। बहरहाल यह सामाजिक बदलाव चीन सरकार की आर्थिक प्रोत्साहन योजना के प्रभाव को सीमित कर सकता है। एक और पहलू यह हो सकता है कि ग्रामीण बनाम शहरी इलाकों में जन्मदर का अंतर – क्या यह स्कीम केवल छोटे शहरों तक सीमित रहेगी या बड़े शहरों में भी असर दिखेगा ?
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