नई दिल्ली (नेहा): बैंकों की तरफ से मनमाने न्यूनतम बैलेंस पर किसी तरह की रोक लगाने से रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने इनकार किया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि केंद्रीय बैंक यह फैसला बैंकों पर ही छोड़ता है कि वे कितना न्यूनतम बैलेंस तय करते हैं। आरबीआई की तरफ से यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब आईसीआईसीआई बैंक ने 1 अगस्त 2025 से खुलने वाले नए सेविंग्स अकाउंट के लिए औसत मासिक बैलेंस बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया है।
मेट्रो और शहरी शाखाओं में न्यूनतम बैलेंस 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया गया है, वहीं अर्ध-शहरी शाखाओं में 5,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये और ग्रामीण इलाकों में इसे बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया है।
हालांकि, यह बदलाव सिर्फ नए ग्राहकों पर लागू होंगे, जबकि पुराने खाताधारकों के लिए नया न्यूनतम बैलेंस नियम तब तक लागू नहीं होगा, जब तक बैंक की तरफ से इस बारे में अधिसूचना जारी नहीं की जाती। यदि ग्राहक इस औसत बैलेंस की शर्तों को पूरा नहीं करेंगे, तो उन पर बैंक की तरफ से पेनाल्टी लगाई जाएगी।
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सोमवार को कहा कि बैंक बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि तय करने के लिए स्वतंत्र हैं और यह आरबीआई के नियामक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। उन्होंने यह बात गुजरात के मेहसाणा जिले के गोजरिया ग्राम पंचायत में वित्तीय समावेशन पर आयोजित एक समारोह के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कही।
प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई के सेविंग्स अकाउंट के लिए जरूरी न्यूनतम बैलेंस की राशि बढ़ाने के बारे में पूछे जाने पर संजय मल्होत्रा ने कहा, “आरबीआई ने न्यूनतम शेष राशि तय करने का निर्णय प्रत्येक बैंक पर छोड़ दिया है। कुछ बैंकों ने इसे 10,000 रुपये रखा है, कुछ ने 2,000 रुपये रखा है और कुछ ने ग्राहकों को इससे छूट दी है। यह आरबीआई के नियामक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।” आईसीआईसीआई बैंक ने 1 अगस्त से नए बचत खाते खोलने वालों के लिए न्यूनतम शेष राशि की सीमा बढ़ा दी है।