हैदराबाद (राघव): हैदराबाद पुलिस ने एक बड़े फर्जी सरोगेसी और बाल तस्करी रैकेट का खुलासा किया है। इस गिरोह में डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन, एजेंट, मैनेजर और तस्करी किए गए नवजात बच्चों के जैविक माता-पिता तक शामिल थे। पुलिस ने अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस पूरे नेटवर्क की मास्टरमाइंड एक डाॅक्टर बताई जा रही हैं, जो यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर की निदेशक हैं। पुलिस के मुताबिक, नम्रता पहले भी कई आपराधिक मामलों में आरोपी रह चुकी हैं।
यह मामला 27 जुलाई को सामने आया, जब गोपालपुरम पुलिस स्टेशन में एक दंपति ने शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि सरोगेसी के नाम पर उनसे ठगी की गई है। शुरुआती जांच में डाॅक्टर और उनके सात साथियों को पकड़ा गया। लेकिन जैसे-जैसे पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई, यह नेटवर्क कई राज्यों तक फैला मिला।
ऐसे चलता था रैकेट:
. आरोपी बांझपन से जूझ रहे दंपतियों को निशाना बनाते थे।
. उन्हें भरोसा दिलाया जाता कि यहां IVF और सरोगेसी की पूरी कानूनी प्रक्रिया होगी।
. इस काम के नाम पर 30 से 40 लाख रुपये तक वसूले जाते थे।
. गर्भावस्था का झूठा अपडेट फोन और मैसेज के जरिए भेजा जाता था।
. प्रसव के समय, एजेंट गरीब माताओं से बच्चे खरीदते – लड़की के लिए ₹3.5 लाख और लड़के के लिए ₹4.5 लाख।
. ग्राहकों को यह बच्चा उनका जैविक बताया जाता था।
फर्जी मेडिकल और DNA रिपोर्ट
इस धोखाधड़ी को असली दिखाने के लिए:
. नकली मेडिकल रिकॉर्ड तैयार किए जाते।
. असली मां के नमूने को ग्राहक महिला के नाम पर दिखाया जाता।
. फर्जी DNA रिपोर्ट बनाई जाती, ताकि किसी को शक न हो।
नेटवर्क का दायरा:
पुलिस के अनुसार, डाॅक्टर ने सिकंदराबाद, कोंडापुर, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा, नेल्लोर, राजमुंदरी और भुवनेश्वर में कई क्लिनिक खोले थे, जिनसे यह रैकेट चलता था।
पुराने आपराधिक मामले:
डाॅक्टर पर पहले भी गोपालपुरम, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा और गुंटूर में करीब 15 केस दर्ज हो चुके हैं। कुछ मामलों में समझौता हुआ, जबकि बाकी अभी कोर्ट में लंबित हैं।
SIT करेगी जांच:
मामले की गंभीरता देखते हुए, हैदराबाद पुलिस आयुक्त ने इसे CCS (सेंट्रल क्राइम स्टेशन) की विशेष जांच टीम (SIT) को सौंप दिया है। फिलहाल पुलिस देशभर में इस नेटवर्क से जुड़े और पीड़ितों व आरोपियों का पता लगाने में जुटी है।