नई दिल्ली (नेहा): भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आईपीएल सट्टेबाजी कांड में अपना नाम घसीटने के लिए दो बड़े मीडिया चैनलों और एक पत्रकार के खिलाफ दायर 100 करोड़ रुपये के मानहानि मामले में अपना बयान दर्ज कराएंगे। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में मुकदमे का आदेश दिया है। जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने एक एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया है। यह कमिश्नर धोनी की ओर से सबूत रिकॉर्ड करेगा। 2013 में आईपीएल में सट्टेबाजी कांड हुआ था।
एमएस धोनी ने 2014 में ही मामला दायर किया था। उन्होंने 100 करोड़ रुपये के नुकसान की मांग की है। पूर्व भारतीय कप्तान धोनी का आरोप है कि आईपीएल सट्टेबाजी कांड पर एक टेलीविजन बहस के दौरान उनके खिलाफ मानहानिकारक टिप्पणी की गई थी। इससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है। वरिष्ठ वकील पीआर रमन ने धोनी की ओर से एक हलफनामा पेश किया। इसमें मुकदमे को शुरू करने की बात कही गई है।
यह मुकदमा अब एक दशक से लंबित है क्योंकि इसमें शामिल पार्टियां वर्षों से राहत मांग रही हैं। हलफनामे में लिखा है, ‘उपरोक्त अनुरोध किसी भी अनुचित देरी से बचने और मुकदमे के निष्पक्ष, न्यायपूर्ण और शीघ्र न्यायनिर्णयन का समर्थन करने के इरादे से किया गया है। मैं कहता हूं कि मैं एडवोकेट कमिश्नर के साथ पूरा सहयोग करूंगा। मुकदमे और सबूतों की रिकॉर्डिंग के संबंध में इस माननीय न्यायालय द्वारा जारी सभी निर्देशों का पालन करूंगा।’
2013 का आईपीएल स्पॉट-फिक्सिंग और सट्टेबाजी कांड टी20 लीग के इतिहास में एक बड़ा धब्बा माना जाता है। इसमें तीन क्रिकेटरों को स्पॉट फिक्सिंग में शामिल पाया गया था। वहीं, दो फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स को अपने शीर्ष अधिकारियों की सट्टेबाजी गतिविधियों के कारण दो साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। महेंद्र सिंह धोनी ने 2020 में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया था लेकिन वह अभी भी आईपीएल में खेलते हैं।


