नई दिल्ली (नेहा): कृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्योहार हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लड्डू गोपाल की विधि-विधान से पूजा होती है। भक्त कान्हा को प्रसन्न के लिए व्रत भी इस दिन रखते हैं, उन्हें झूले में झुलाते हैं और भजन-कीर्तन भी भक्तों के द्वारा किए जाते हैं। इसके साथ ही आपको कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर भगवान कृष्ण के 108 नामों का जप भी करना चाहिए। भगवान के इन नामों का जप करने से आप पर श्रीकृष्ण की कृपा बरसती है और साथ ही मानसिक शांति भी आप प्राप्त करते हैं।
भगवान कृष्ण के 108 नाम
कृष्ण, कमलनाथ, वासुदेव, सनातन, श्रीवत्स कौस्तुभधराय, वसुदेवात्मज, पुण्य, नन्दगोप प्रियात्मज, लीलामानुष विग्रह, यशोदावत्सल, हरि, चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा, नन्दव्रज जनानन्दिन, सङ्खाम्बुजा युदायुजाय, देवाकीनन्दन, श्रीशाय, यमुनावेगा संहार, बलभद्र, प्रियनुज, पूतना जीवित हर, शकटासुर भञ्जन, नन्दव्रज जनानन्दिन, शुकवागमृताब्दीन्दवे , सच्चिदानन्दविग्रह, नवनीत विलिप्ताङ्ग, नवनीतनटन, मुचुकुन्द प्रसादक, षोडशस्त्री, सहस्रेश, त्रिभङ्गी, मधुराकृत, गोविन्द, योगीपति, वत्सवाटि चराय, अनन्त, धेनुकासुरभञ्जनाय, तृणी-कृत-तृणावर्ताय, यमलार्जुन भञ्जन, उत्तलोत्तालभेत्रे, तमाल श्यामल कृता, गोप गोपीश्वर, योगी, कोटिसूर्य समप्रभा, इलापति, परंज्योतिष, यादवेंद्र, यदूद्वहाय, वनमालिने, पीतवससे, पारिजातापहारकाय, गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे, गोपाल, सर्वपालकाय, अजाय, निरञ्जन, कामजनक, कञ्जलोचनाय, मधुघ्ने, मथुरानाथ, द्वारकानायक, बलि, बृन्दावनान्त सञ्चारिणे, तुलसीदाम भूषनाय, स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे, नरनारयणात्मकाय, कुब्जा कृष्णाम्बरधराय, मायिने, परमपुरुष, मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय, संसारवैरी, कंसारिर, मुरारी, नाराकान्तक, अनादि ब्रह्मचारिक, कृष्णाव्यसन कर्शक, शिशुपालशिरश्छेत्त, दुर्यॊधनकुलान्तकृत, विश्वरूपप्रदर्शक, सत्यवाचॆ, सत्य सङ्कल्प, सत्यभामारता, जयी, सुभद्रा पूर्वज, विष्णु, भीष्ममुक्ति प्रदायक, जगद्गुरू, जगन्नाथ, वॆणुनाद विशारद, वृषभासुर विध्वंसि, बाणासुर करान्तकृत, युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे, बर्हिबर्हावतंसक, पार्थसारथी, अव्यक्त, गीतामृत महोदधी, कालीयफणिमाणिक्य रञ्जित श्रीपदाम्बुज, दामोदर, यज्ञभोक्त, दानवेन्द्र विनाशक, नारायण, परब्रह्म, परात्पराय, पन्नगाशन वाहन, जलक्रीडा समासक्त गोपीवस्त्रापहाराक, पुण्य श्लॊक, तीर्थकरा, वेदवेद्या, दयानिधि, सर्वभूतात्मका व सर्वग्रहरुपी
भगवान कृष्ण के इन नामों का जप आप एकांत स्थान पर बैठकर कर सकते हैं। अगर घर में एकांत जगह न मिल पाए तो किसी मंदिर में जाकर आपको नाम जप करना चाहिए। इन नामों का जप करने के बाद जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा भी अगर आप देते हैं तो शुभ माना जाता है। इन नामों को जपने से मानसिक और आध्यात्मिक बल भी आप प्राप्त करते हैं।