नई दिल्ली (नेहा): ब्रिटिश सेना द्वारा 173 सैनिकों को उनके खराब दांतों (या मसूड़ों की बीमारी /गम डिजीज) की वजह से भर्ती से खारिज किए जाने की खबर हाल ही में सामने आई है। यह जानकारी ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय द्वारा पिछले चार वर्षों (2021-2025) के आंकड़ों पर आधारित है। इस मामले ने ब्रिटिश सेना में dental health से जुड़े सैन्य भर्ती के कड़े मेडिकल मानकों की ओर ध्यान खींचा है। ये 173 उम्मीदवार उन 47,000 लोगों का हिस्सा थे, जिन्हें विभिन्न चिकित्सा कारणों जैसे मनोवैज्ञानिक समस्याएं, हृदय रोग, या कमजोर दृष्टि के कारण भर्ती से वंचित किया गया था।
ब्रिटिश सेना में दांतों के स्वास्थ्य को बहुत महत्व दिया जाता है, क्योंकि खराब दांत या मसूड़े सैनिकों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। दांतों का दर्द या मसूड़ों की समस्या सैनिकों को ऑपरेशन के दौरान अक्षम कर सकती है, क्योंकि दर्दनाक स्थिति में हेवी दवाइयां लेनी पड़ सकती हैं, जो युद्ध करने के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती। 17वीं सदी में मस्कटियर्स को अपने दांतों से बारूद की थैली खोलनी पड़ती थी, जिसके लिए स्वस्थ दांतों की आवश्यकता थी। यह सैन्य इतिहास में दांतों के स्वास्थ्य के महत्व का पहला उदाहरण था।
रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में लगभग 36,000 सैनिकों को दांतों की सड़न या मसूड़ों की बीमारी के लिए उपचार की आवश्यकता है। ब्रिटिश डेंटल एसोसिएशन (BDA) ने इसे “राष्ट्रीय घोटाला” करार दिया है, क्योंकि इराक और अफगानिस्तान में युद्ध की तुलना में दांतों की समस्याओं के कारण अधिक सैनिक अक्षम हुए।
शोध से पता चलता है कि सेना में भर्ती होने वाले कई उम्मीदवार गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं, जहां खराब आहार और दांतों की देखभाल की कमी के कारण ये समस्याएं आम हैं। ब्रिटिश सेना में dental appointments मिस करने वाले सैनिकों को असाधारण मामलों में सात दिन तक की जेल की सजा दी जा सकती है, क्योंकि इसे ड्यूटी में लापरवाही माना जाता है।