नई दिल्ली (नेहा): मुंबई पुलिस ने मंगलवार को कार्यकर्ता मनोज जरांगे और उनकी टीम को एक नोटिस जारी कर शहर के आजाद मैदान को खाली करने को कहा है। जहां वह मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे हैं। इस बात की जानकारी अधिकारियों ने दी है। एक अधिकारी ने बताया कि मराठा आरक्षण प्रदर्शनकारियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों के मुताबिक पुलिस द्वारा आंदोलन-पूर्व निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया, इसलिए आजाद मैदान पुलिस ने जरांगे और उनकी कोर टीम को नोटिस जारी किया।
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में जरांगे की भूख हड़ताल मंगलवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गई। उच्च न्यायालय ने उनके समर्थकों से मंगलवार दोपहर तक शहर की सभी सड़कें खाली करने और सामान्य स्थिति बहाल करने को कहा है। यह देखते हुए कि मराठा आंदोलन के कारण मुंबई सचमुच ठप हो गई है, जिसने सभी शर्तों का उल्लंघन किया है और शहर को ठप कर दिया है। उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह जरांगे और प्रदर्शनकारियों को यह सुनिश्चित करने का अवसर दे रहा है कि मंगलवार दोपहर तक सभी सड़कें खाली और साफ कर दी जाएं। बता दें जरांगे आरक्षण लाभ के लिए मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
मराठों को ओबीसी आरक्षण श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे जरांगे ने सोमवार दोपहर पानी पीना बंद कर दिया, लेकिन शाम को हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कुछ घूंट पानी पिया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनका प्रशासन मराठा आरक्षण आंदोलन पर हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करेगा और महायुति सरकार गतिरोध को सुलझाने के लिए कानूनी विकल्प तलाशने पर विचार कर रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारी छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) और चर्चगेट रेलवे स्टेशनों, मरीन ड्राइव प्रोमेनेड और यहां तक कि हाईकोर्ट भवन जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर जमा हो गए हैं।
पीठ ने कहा, हम जरांगे और उनके समर्थकों को स्थिति को तुरंत सुधारने और यह सुनिश्चित करने का अवसर दे रहे हैं कि मंगलवार दोपहर तक सड़कें खाली और साफ हो जाएं। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को तय करते हुए कहा कि अगर जरांगे की तबीयत बिगड़ती है, तो सरकार उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान करेगी। महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि विरोध प्रदर्शन की अनुमति केवल 29 अगस्त तक के लिए दी गई थी। उन्होंने तर्क दिया कि जारंगे और उनके समर्थकों ने हर शर्त और वचन का उल्लंघन किया है।