नई दिल्ली (नेहा): चेन्नई की 10 वर्षीय थारगई आराधना भारत की सबसे कम उम्र की PADI सर्टिफाइड स्कूबा डाइवर हैं। छोटी-सी उम्र में ही उन्होंने समुद्र और तटीय क्षेत्रों को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने का मिशन बना लिया है। हर रविवार वह बीच और अंडरवाटर क्लीन-अप अभियान की अगुवाई करती हैं। अब तक थारगई 6 हजार किलो से अधिक प्लास्टिक समुद्र से निकाल चुकी हैं और 70 से ज्यादा कम्यूनिटी टॉक्स में लोगों को जागरूक कर चुकी हैं। 3 अप्रैल 2025 को थारगई ने अपने पिता एस.बी. अरविंद थरून्श्री और दोस्त, निश्विक के साथ श्रीलंका के थलाईमन्नार से भारत के धनुषकोडी तक तैरकर समुद्र प्रदूषण के खिलाफ संदेश दिया। इस सफर को उन्होंने 11 घंटे 30 मिनट में पूरा किया। 19 सितंबर 2025 को मुंबई में होने वाले TED Talk Gateway Youth में थारगई अपना अनुभव साझा करेंगी।
अरथना के पिता थरून्श्री पेशेवर स्कूबा डाइवर और पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। साल 1997 में पहली बार गोता लगाने के बाद उन्होंने समुद्र संरक्षण को अपना जीवन समर्पित कर दिया। बेटी के जन्म के तीन दिन बाद ही उन्होंने उसे पानी से परिचित कराया था। नौ महीने की उम्र में वह पानी में सहज हो गई थी और ढाई साल की उम्र तक तैरना सीख गई थी. पांच साल की उम्र से पिता-बेटी ने साथ में डाइविंग शुरू कर दी। थारगई का कहना है कि समुद्री जीव उनके दोस्त हैं। लेकिन प्लास्टिक प्रदूषण की वजह से वे तकलीफ़ में हैं। उनकी इस सोच के पीछे एक दर्दनाक अनुभव है। एक बार डाइविंग के दौरान उन्होंने एक समुद्री गाय (डुगोंग) और उसके बच्चे को जाल में फंसा देखा। बच्चा तो बच गया, लेकिन गाय मर गई। उस घटना ने उनको झकझोर दिया और उन्होंने समुद्र को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने का संकल्प ले लिया।