नई दिल्ली (नेहा): खजुराहो में भगवान विष्णु की प्रतिमा से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने ऐसी टिप्पणी की है, जिससे नया विवाद शुरू हो गया है। खजुराहो में भगवान विष्णु की प्रतिमा की दोबारा स्थापना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। यह मामला सीजेआई जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष लिस्ट हुई। मंगलवार 16 सितंबर 2025 को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सीजेआई गवई की पीठ ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। इस दौरान सीजेआई ने कुछ ऐसी टिप्पणी कर दी, जिससे नया विवाद शुरू हो गया है। अब एक वकील ने सीजेआई गवई के नाम ओपन लेटर लिखते हुए इस टिप्पणी का विरोध किया है। उन्होंने इन टिप्पणियों पर पुनर्विचार करने या फिर उसे वापस लेने की मांग की है।
दरअसल, खजुराहो में स्थित भगवान विष्णु की प्रतिमा को फिर से स्थापित करने की मांग को लेकर सुप्री कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। जनहित याचिका को प्रचार हित याचिका बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो में भगवान विष्णु की सात फीट ऊंची मूर्ति की दोबारा स्थापना से जुड़ी याचिका खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान सीजेआइ बीआर गवई ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे भगवान से कहें कि वे खुद इस मामले में कुछ करें। CJI जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये कहते हुए याचिका सुनने से इनकार कर दिया कि इसमें केवल प्रचार पाना ही उद्देश्य नजर आता है। जाइए और भगवान से कहिए कि वे खुद कुछ करें. आप खुद को भगवान विष्णु का उपासक कहते हैं तो प्रार्थना करिये और थोड़ा ध्यान लगाइए।
सीजेआई जस्टिस गवई की टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील सत्यम सिंह राजपूत ने CJI को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने अपने ओपन लेटर में खजुराहो में स्थित विष्णु मूर्ति मामले में की गई टिप्पणियों का विरोध किया है। उन्होंने CJI जस्टिस गवई से इन टिप्पणियों पर पुनर्विचार या वापस लेने की मांग की है। इसके साथ ही सभी धार्मिक समुदायों का विश्वास बहाल करने के लिए उचित स्पष्टीकरण जारी करने का आग्रह किया है। इससे पहले 16 सितंबर 2025 को वकील विनीत जिंदल ने भी सीजेआई जस्टिस गवई को चिट्ठी लिखी थी।
सीजेआई जस्टिस बीआर गवई द्वारा की गई एक टिप्पणी को लेकर वकील सत्यम सिंह राजपूत ने सीजेआई को खुला पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि सीजेआई द्वारा की गई टिप्पणी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है, लिहाजा इसे वापस लिया जाए। सीजेआई जस्टिस बीआर गवई ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘यह (खजुराहो स्थित भगवान विष्णु की प्रतिमा) एक पुरातात्विक स्थल है और इसमें कोई भी बदलाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की अनुमति के बिना संभव नही है। क्षमा करें, हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते।’