नई दिल्ली (नेहा): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं और उसका देश भर में जश्न मना रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने शताब्दी वर्ष से जुड़े एक आयोजन में हिस्सा लिया था और आरएसएस के सम्मान में डाक टिकट और सिक्का जारी किया था। लेकिन कर्नाटक में उसकी गतिविधियों पर बैन भी लगाया जा सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक ने एक पत्र सिद्धारमैया सरकार को लिखा है, जिसमें संघ पर आरोप लगाया है कि वे संविधान से इतर गतिविधियां करते हैं। उनकी ओर से युवाओं और बच्चों को उकसाया जाता है ताकि देश की एकता और अखंडता पर खतरा पैदा हो।
अब इस लेटर के आधार पर सिद्धारमैया ने राज्य की मुख्य सचिव शालिनी रजनीश से कहा है कि वे पूरे मामले को समझें और उसकी जानकारी लेने के बाद जरूरी ऐक्शन लें। प्रियांक खरगे सिद्धारमैया की सरकार में आईटी मिनिस्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। प्रियांक खरगे के प्रस्ताव पर भाजपा ने तीखा विरोध जाहिर किया है। भाजपा का कहना है कि अपनी असफलताओं से जनता का ध्यान खींचने के लिए सरकार चाहती है कि एक नया मुद्दा खड़ा हो जाए। इसके अलावा कांग्रेस में सीएम पद के लिए मची आंतरिक कलह को भी इसकी एक वजह बताया है। बता दें कि पिछले दिनों डीके शिवकुमार ने विधानसभा में आरएसएस की प्रार्थना की दो पंक्तियां सुनाई थीं और उसकी तारीफ की थी।
प्रियांक खरगे ने पत्र में मांग की है कि आरएसएस की गतिविधियों पर बैन लगे। जैसे शाखा और बैठकों पर पाबंदी लगे। इसके अलावा सार्वजनिक कार्यक्रमों पर भी रोक लगे। सरकारी स्कूल, सहायता प्राप्त स्कूल, खेल के मैदान आदि पर शाखाएं ना लगने दी जाएं। इसके अलावा सरकार के अंतर्गत आने वाले मंदिरों के इस्तेमाल पर भी रोक लगे। प्रियांक ने कहा कि आरएसएस अपनी गतिविधियों से नफरत के बीज बो रहा है। पुलिस से परमिशन के बिना ही आरएसएस के कार्यकर्ता लाठी लेकर चलते हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि संघ की बढ़ती लोकप्रियता कांग्रेस को पच नहीं रही है। अब वह असहिष्णु हो चुकी है। उन्होंने कहा कि ऐसी पूरे देश में कोई घटना नहीं है, जब आरएसएस के लोगों ने कोई अनुशासनहीनता दिखाई हो। उन्होंने कहा कि कांग्रेस तो लंबे समय से खिलाफ ही रही है, लेकिन आरएसएस की अपनी भूमिका है और देश रक्षा के लिए वह हमेशा तत्पर रहा है।