नई दिल्ली (पायल): टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी TCS ने हाल ही में बड़े पैमाने पर अपने कर्मचारियों को निकाला। कर्मचारियों की छटनी के बाद कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ (KITU) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ( (TCS) प्रबंधन के बीच बुधवार को बेंगलुरु में एक सुलह बैठक हुई।
केआईटीयू ने बैठक के दौरान उन पीड़ित कर्मचारियों के हलफनामे प्रस्तुत किए, जिन्हें कथित रूप से कंपनी द्वारा उत्पीड़ित किया गया था। आईटीईएस कर्मचारी संघ ने टीसीएस प्रबंधन के खिलाफ औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 33 के उल्लंघन पर कार्रवाई की मांग की।
बुधवार को बेंगलुरू में हुआ टीसीएस और आईटीईएस कर्मचारी संघ के बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त श्रम आयुक्त जी. मंजीनाथ ने की। टीसीएस की तरफ से जनरल मैनेजर (एचआर) बॉबन वर्गीज थॉमस शामिल हुए, जबकि यूनियन की ओर से सामान्य सचिव सुहास अडिगा, अध्यक्ष वी.जे.के. नायर और सचिव सूरज निधियांगा शामिल हुए। श्रम विभाग ने इस मामले पर पर अगली बैठक 5 नवंबर को निर्धारित की है।
गौरतलब है कि टीसीएस कंपनी द्वारा हाल ही में 20,000 कर्मचारियों की छटनी की गई। इसको लेकर सोमवार को, आईटी और आईटीईएस डेमोक्रेटिक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (आईआईडीईए) ने बेंगलुरु स्थित टीसीएस के व्हाइटफील्ड परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में अधिकांश मध्यम और वरिष्ठ स्तर के पेशेवर थे।
जानकारी मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने टीसीएस पर एक “शोषणकारी तैनाती नीति” लागू करने का आरोप लगाया, जिसके तहत कर्मचारियों को सालाना 225 बिल योग्य दिन दर्ज करने पड़ते हैं, और कार्य-जीवन संतुलन और नौकरी की सुरक्षा की उपेक्षा की गई। उन्होंने 500 से ज़्यादा पेशेवरों को नौकरी पर रखने में हुई देरी पर भी चिंता जताई, जिन्हें महीनों पहले ही ऑफर लेटर मिल गए थे, लेकिन उन्होंने अभी तक ज्वाइन नहीं किया है।
IIDEA ने टीसीएस के इस कदम को “अपने कार्यबल का अवमूल्यन” बताया और दावा किया कि कंपनी कर्मचारी कल्याण की बजाय मुनाफे और निवेशकों को आकर्षित करने को प्राथमिकता दे रही है। केआईटीयू और आईआईडीईए दोनों ने सरकार से आईटी/आईटीईएस क्षेत्र में हस्तक्षेप करने और श्रम कानूनों को लागू करने, अवैध छंटनी को रोकने और प्रभावित श्रमिकों के लिए उचित व्यवहार, विच्छेद लाभ और पुनः कौशल विकास के अवसर सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।