नई दिल्ली (नेहा): Google Chrome सबसे ज्यादा यूज होने वाला वेब ब्राउजर है और भारत में अब इसके यूजर्स पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। Windows, macOS और Linux पर इसके कुछ वर्जन में सुरक्षा खामियां पाई गईं हैं, जिससे हैकर्स आपका प्राइवेट डेटा चुरा सकते हैं। इसे देखते हुए सरकारी एजेंसी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) ने हाई-रिस्क वार्निंग जारी की है। आइए जानते हैं कि इस वेब ब्राउजर की किस वर्जन में खामियां मिली हैं और अब यूजर्स के पास डेटा चोरी से बचने के लिए क्या ऑप्शंस हैं।
Linux पर गूगल क्रोम के 142.0.7444.59 से पुराने वर्जन, Windows और Mac पर 142.0.7444.59/60 से पुराने वर्जन पर सबसे ज्यादा खतरा है. वार्निंग में कहा गया है कि V8 में टाइप कंफ्यूजन, इनएप्रोप्रिएट इंप्लीमेंटेशन, ऐप-बाउंड एनक्रिप्शन, ओमनीबॉक्स में इनकरेक्ट सिक्योरिटी UI, फुलस्क्रीन UI और स्प्लिटव्यू, एक्सटेंशन्स में पॉलिसी बायपास और V8 और WebXR में आउट ऑफ बाउंड रीड के कारण कई सुरक्षा खामियां हैं।
सरकारी एजेंसियों ने बताया कि इन खामियों का फायदा उठाकर साइबर अपराधी सिक्योरिटी को बाइपास कर सकते हैं। इसके बाद वो यूजर्स के कंप्यूटर में सेंध लगाकर आपके कंप्यूटर की एक्सेस ले सकते हैं, डेटा चोरी और स्पूफिंग अटैक कर सकते हैं। इसके अलावा वो टारगेटेड सिस्टम में स्टोर सेंसेटिव इंफोर्मेशन को भी डिस्क्लोज कर सकते हैं।
इंडिविजुअल्स के साथ-साथ ऑर्गेनाइजेशन में भी पुराने वर्जन पर चलने वाले गूगल क्रोम पर साइबर अटैक का खतरा है। इससे बचने के लिए यूजर्स को तुरंत गूगल क्रोम को अपडेट करने की सलाह दी गई है। कंपनी ने पुराने वर्जन में आईं इन खामियों का सिक्योरिटी पैच जारी कर दिया है, जिसे क्रोम को अपडेट कर इंस्टॉल किया जा सकता है। भविष्य में भी ऐसे खतरों से बचने के लिए गूगल क्रोम समेत अपनी सभी ऐप्स और सिस्टम को अपडेट रखें।


