नई दिल्ली (नेहा): दुनिया की दो बड़ी टेक कंपनियां ऐपल और गूगल ने लोगों को नई साइबर चेतावनी भेजी है। ये चेतावनी कई देशों के फोन इस्तेमाल करने वालों को दी गई है। कंपनियां बता रही हैं कि कुछ खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर उनके फोन में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। ये हमले सरकारों से जुड़े हो सकते हैं। पिछले कुछ सालों में ऐसी चेतावनियां बहुत बढ़ गई हैं। ऐपल और गूगल जब भी पता चलता है कि किसी का फोन हैक करने की कोशिश हो रही है, तो वे सीधे उस यूजर को मैसेज भेज देते हैं। ये हैकिंग आम चोरी की नहीं होती, बल्कि बहुत महंगे और सीक्रेट जासूसी टूल से की जाती है।
2 दिसंबर को ऐपल ने कई लोगों को मैसेज भेजा। कंपनी ने बताया कि अब तक 150 से ज्यादा देशों के लोगों को इस तरह की चेतावनी दी जा चुकी है। ऐपल ने यह नहीं बताया कि इस बार कितने लोगों को मैसेज गया और कौन से हैकर्स इसके पीछे हैं, लेकिन कहा कि खतरा बहुत गंभीर है। 3 दिसंबर को गूगल ने भी चेतावनी दी। गूगल को पता चला कि इंटेलेक्सा नाम का जासूसी सॉफ्टवेयर कई सौ अकाउंट को निशाना बना रहा है। यह सॉफ्टवेयर पाकिस्तान, कजाकिस्तान, अंगोला, मिस्र, उज्बेकिस्तान, सऊदी अरब और ताजिकिस्तान जैसे देशों में एक्टिव है। अमेरिका ने इस कंपनी पर पहले ही पाबंदी लगा रखी है, फिर भी यह काम कर रही है।
ये खतरनाक सॉफ्टवेयर फोन में चुपके से घुस जाता है। इसके बाद मैसेज, फोटो, लोकेशन, कॉल रिकॉर्डिंग, पासवर्ड सब देख सकता है। कभी-कभी कैमरा और माइक भी चालू कर देता है। यूजर को पता तक नहीं चलता। जब भी ऐपल-गूगल ऐसी चेतावनी देते हैं, तो कई देशों की सरकारें और एजेंसियां जांच शुरू कर देती हैं। यूरोपीय संघ में पहले भी बड़े अधिकारियों के फोन हैक हुए थे, इसलिए वहां सख्ती ज्यादा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि ये चेतावनी हैकर्स के लिए महंगी पड़ती है क्योंकि उनकी पोल खुल जाती है।
इस बार की चेतावनी से फिर बहस शुरू हो गई है। एक तरफ देशों की सुरक्षा है, दूसरी तरफ आम लोगों की निजता। जासूसी सॉफ्टवेयर बनाने और बेचने वाली कंपनियां तेजी से बढ़ रही हैं। मानव अधिकार संगठन कहते हैं कि दुनिया के सभी देशों को मिलकर इसके नियम बनाने चाहिए। ऐपल और गूगल ने कहा है- अगर आपको ऐसा मैसेज आए तो तुरंत फोन अपडेट करें, पासवर्ड बदलें, दो स्टेप वाली सिक्योरिटी चालू करें और अनजान लिंक पर क्लिक न करें। ये छोटे कदम आपको काफी हद तक बचा सकते हैं।


