नई दिल्ली (नेहा): भारतीय खेल जगत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है। महान क्रिकेटर और मशहूर कमेंटेटर सुनील गावस्कर देश के पहले ऐसे खेल व्यक्तित्व बन गए हैं, जिन्हें अदालत के माध्यम से अपने प्रचार और व्यक्तित्व अधिकारों की कानूनी सुरक्षा प्राप्त हुई है। यह मामला इस बात को रेखांकित करता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक के दौर में खेल के दिग्गज भी डिजिटल दुरुपयोग से अछूते नहीं हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को हस्तक्षेप करते हुए सुनील गावस्कर के नाम और छवि के अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगा दी। अदालत ने विभिन्न वेबसाइटों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उनकी पहचान का बिना अनुमति इस्तेमाल किए जाने को गंभीर माना।
न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने आदेश जारी करते हुए कई प्रतिवादियों को सुनील गावस्कर की पहचान के इस्तेमाल से रोक दिया। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक तकनीक के जरिए की जा रही गतिविधियां भी शामिल हैं। हालांकि अदालत के निर्देशों के बाद कुछ सामग्री हटाई गई, लेकिन मंगलवार को यह जानकारी दी गई कि इंटरनेट पर अब भी कई उल्लंघन मौजूद हैं, जिसके चलते और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता पड़ी।
सुनील गावस्कर की याचिका का उद्देश्य उनके नाम, तस्वीरों, आवाज और संपूर्ण व्यक्तित्व के व्यावसायिक दुरुपयोग को रोकना है। इस मामले ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि व्यक्तित्व अधिकारों में किसी व्यक्ति को अपनी पहचान पर नियंत्रण रखने और उससे लाभ अर्जित करने का अधिकार शामिल होता है। हाल के महीनों में फिल्म, संगीत और मीडिया जगत से जुड़े कई प्रसिद्ध लोगों ने भी इसी तरह की कानूनी सुरक्षा हासिल की है। इनमें सलमान खान, ऐश्वर्या राय बच्चन, पवन कल्याण, ऋतिक रोशन, अजय देवगन और करण जौहर जैसे नाम शामिल हैं।
सुनील गावस्कर की छवि के ऑनलाइन दुरुपयोग ने अदालत को त्वरित हस्तक्षेप के लिए मजबूर किया। इंटरनेट पर उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल अश्लील और भ्रामक सामग्री में किया जा रहा था। इस पर अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए कि ऐसी सभी सामग्री को 72 घंटे के भीतर हटाया जाए। चेतावनी दी गई कि यदि संबंधित प्लेटफॉर्म ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो सोशल मीडिया मध्यस्थ खुद यह कार्रवाई करेंगे।
गौरतलब है कि सुनील गावस्कर ने इस मामले में राहत के लिए 12 दिसंबर को ही अदालत का रुख किया था। उस समय उच्च न्यायालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को सात दिनों के भीतर उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। यह फैसला न केवल सुनील गावस्कर के लिए, बल्कि भविष्य में डिजिटल दुरुपयोग से जूझ रहे सभी सार्वजनिक व्यक्तित्वों के लिए एक मजबूत मिसाल माना जा रहा है।


