नई दिल्ली (नेहा): दिल्ली की एक अदालत ने प्रतिबंधित ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ (सिमी) और इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) को फिर से सक्रिय करने की साजिश रचने के मामले में दो व्यक्तियों को यह कहते हुए आरोप मुक्त कर दिया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला साबित करने में विफल रहा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित बंसल गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 18 और 20 तथा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत अब्दुल सुभान कुरैशी उर्फ अब्दुस सुभान उर्फ तौकीर और आरिज खान उर्फ जुनैद उर्फ सलीम के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे।
अदालत ने 20 दिसंबर को दिये फैसले में कहा कि आरोप पत्र मुख्य रूप से पुलिस हिरासत में आरोपी द्वारा कथित रूप से किए गए खुलासे और इकबालिया बयानों पर आधारित है जो तथ्यों की किसी भी बरामदगी या खोज के अभाव में साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं हैं।
फैसले में कहा गया, ‘‘इस मामले में दाखिल आरोपपत्र में ऐसा कोई भी स्वीकार्य साक्ष्य मौजूद नहीं है जिससे दोनों आरोपियों के खिलाफ गंभीर संदेह पैदा हो सके कि उन्होंने भारत में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिमी और आईएम की गतिविधियों को फिर से शुरू करने की साजिश रची थी या वे उक्त प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के सदस्य थे।” अदालत ने कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए रिकॉर्ड में पर्याप्त सबूत नहीं होने के मद्देनजर उन्हें आरोप मुक्त किया जाता है।


