नई दिल्ली (नेहा): बिहार चुनाव नजदीक आने के साथ ही स्पेशल इंटेसिव रिवीजन (SIR) का मुद्दा लगातार तूल पकड़ रहा है। कई लोगों का नाम मतदाता सूची से बाहर होने का दावा किया जा रहा है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मतदाताओं के लिए राहत का फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आधार कार्ड को भी 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल किया जा सकता है।
चुनाव आयोग ने SIR के तहत बिहार के सभी नागरिकों से नागरिकता प्रमाण पत्र दिखाने की मांग की थी। इसके लिए चुनाव आयोग ने 11 दस्तावेजों की सूची जारी की थी, जिनसे नागरिकता सिद्ध की जा सकती है। मगर, अब सुप्रीम कोर्ट ने 12वें दस्तावेज के रूप में आधार कार्ड को जोड़ने का आदेश दिया है। SIR पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड को सूची में जगह दी जा सकती है। हालांकि, इसे नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता। इसलिए चुनाव आयोग अगर चाहे तो आधार कार्ड की प्रामाणिकता और वास्तविकता की जांच कर सकता है।
चुनाव आयोग के 11 दस्तावेजों की सूची:-
1. केंद्र, राज्य सरकार एवं सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत कर्मियों के पहचान पत्र, पेंशन भुगतान आदेश
2. एक जुलाई 1987 के पूर्व सरकारी, स्थानीय प्राधिकार, बैंक, पोस्टऑफिस, एलआईसी एवं पब्लिक सेक्टर उपक्रमों से जारी आईकार्ड, दस्तावेज
3. सक्षम प्राधिकार से जारी जन्म प्रमाणपत्र
4. पासपोर्ट
5. मान्यता प्राप्त बोर्ड, विश्वविद्यालय से निर्गत मैट्रिक व अन्य शैक्षणिक प्रमाणपत्र
6. स्थायी आवासीय प्रमाणपत्र
7. वन अधिकार प्रमाणपत्र
8. सक्षम प्राधिकार द्वारा निर्गत ओबीसी/एससी/एसटी जाति प्रमाणपत्र
9. राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां उपलब्ध हो)
10. राज्य/स्थानीय प्राधिकार द्वारा तैयार पारिवारिक रजिस्टर
11. सरकार की कोई भूमि/मकान आवंटन प्रमाणपत्र
बता दें कि चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। पहले इस मामले पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आधार अधिनियम के तहत आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय अभी भी अपने इस फैसले पर बरकरार है। हालांकि, चुनाव आयोग के द्वारा सुझाए गए 11 दस्तावेजों के अभाव में आधार कार्ड का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन चुनाव आयोग के पास इसकी सत्यता के जांच के अधिकार होंगे।