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सीधे कानून बनाने के विधेयक का AAP मुखिया ने किया कड़ा विरोध

Nri Rashtriya
Last updated: November 23, 2025 12:32 pm
Nri Rashtriya
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नई दिल्ली (पायल): आप आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की नेता हरसिमरत कौर बादल ने उस संविधान संशोधन विधेयक का रविवार को कड़ा विरोध किया जिसे संसद में पेश किया जाना है। विधेयक में चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के तहत शामिल करने का प्रावधान है जिससे राष्ट्रपति को केंद्र शासित प्रदेश के लिए नियम बनाने और सीधे कानून बनाने का अधिकार होगा। लोकसभा और राज्यसभा बुलेटिन के अनुसार, केंद्र सरकार एक दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में संविधान (131वां संशोधन) विधेयक, 2025 लाएगी।

यदि विधेयक पारित हो जाता है, तो चंडीगढ़ में एक स्वतंत्र प्रशासक हो सकता है, जैसा कि पहले स्वतंत्र मुख्य सचिव हुआ करते थे। चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी है। इस प्रस्तावित संशोधन को लेकर पंजाब में राजनीतिक आक्रोश भड़क उठा है, जिसमें राज्य में सत्ताधारी आप, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है और सरकार पर पंजाब से चंडीगढ़ ‘‘छीनने” की कोशिश करने का आरोप लगाया है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के इस प्रस्तावित कदम का कड़ा विरोध किया और इसे पंजाब की पहचान और संवैधानिक अधिकारों पर ‘‘सीधा हमला” बताया है।

केजरीवाल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा संविधान संशोधन के माध्यम से चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को खत्म करने की कोशिश किसी साधारण कदम का हिस्सा नहीं, बल्कि पंजाब की पहचान और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है। संघीय ढांचे की धज्जियां उड़ाकर पंजाबियों के हक छीनने की यह मानसिकता बेहद खतरनाक है।” उन्होंने कहा, ‘‘जिस पंजाब ने देश की सुरक्षा, अनाज, पानी और इंसानियत के लिए हमेशा बलिदान दिया, आज उसी पंजाब को उसके अपने हिस्से से वंचित किया जा रहा है। ये केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं बल्कि ये पंजाब की आत्मा को चोट पहुंचाने जैसा है।”

केजरीवाल ने कहा, ‘‘इतिहास गवाह है कि पंजाबियों ने कभी किसी तानाशाही के सामने सिर नहीं झुकाया। पंजाब आज भी नहीं झुकेगा। चंडीगढ़ पंजाब का है और पंजाब का रहेगा।” शिरोमणि अकाली दल (शिअद) सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि इस कदम से पंजाब चंडीगढ़ पर अपना अधिकार खो देगा। उन्होंने कहा, ‘‘शिरोमणि अकाली दल इस शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे प्रस्तावित संविधान (131वां संशोधन) विधेयक का कड़ा विरोध करता है। इस संशोधन से चंडीगढ़ एक राज्य बन जाएगा और पंजाब चंडीगढ़ पर अपना अधिकार पूरी तरह खो देगा।”

बादल ने इस प्रस्ताव को पंजाब के लिए एक बड़ा झटका बताया और कहा कि कांग्रेस पार्टी ने शुरू में पंजाब से चंडीगढ़ छीन लिया था। उन्होंने कहा कि इसे अलग राज्य बनाने का फैसला स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह संशोधन विधेयक पंजाब के अधिकारों की लूट है और संघीय ढांचे के सिद्धांतों का भी उल्लंघन है। शिरोमणि अकाली दल ऐसा नहीं होने देगा और इस सत्र में इसका कड़ा विरोध करेगा।” इस बीच, गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र का संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ प्रशासन पर कोई विधेयक पेश करने का इरादा नहीं है।

शिअद ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए 24 नवंबर को अपनी कोर कमेटी की आपात बैठक बुलाई है। शिरोमणि अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में अगले कदम तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र के कदम का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत रणनीति तय करने के लिए वरिष्ठ संवैधानिक विशेषज्ञों से सलाह ली जाएगी। कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा कि केंद्र की नई कोशिश का मकसद चंडीगढ़ को पंजाब से ‘‘पूरी तरह से छीनना” और इसे एक अलग केंद्र शासित प्रदेश में बदलना है।

उन्होंने कहा कि यह कदम ‘‘पूरी तरह से आक्रामक कृत्य है जिसे पंजाब कभी स्वीकार नहीं करेगा।” सिंह ने कहा, ‘‘मैं मुख्यमंत्री भगवंत मान से अनुरोध करता हूं कि वह सोमवार के विधानसभा सत्र में इस पंजाब विरोधी कदम का कड़ा विरोध करें और इसके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करें। एक सर्वदलील बैठक बुलाई जानी चाहिए ताकि पंजाब एकजुट खड़ा हो सके, इस गैर-संवैधानिक हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा सके और पंजाब की आपत्ति औपचारिक रूप से दर्ज कराने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिल सके।” अभी, पंजाब के राज्यपाल केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक के तौर पर काम करते हैं।

यह पहले 1 नवंबर 1966 से एक मुख्य सचिव द्वारा स्वतंत्र रूप से प्रशासित किया जाता था, जब पंजाब का पुनर्गठन किया गया था। हालांकि, एक जून, 1984 से चंडीगढ़ को पंजाब के राज्यपाल प्रशासित कर रहे हैं और मुख्य सचिव के पद को केंद्र शासित प्रदेश प्रशासक के सलाहकार में बदल दिया गया था। अगस्त 2016 में, केंद्र ने शीर्ष पद के लिए पूर्व आईएएस अधिकारी के जे अल्फोंस को नियुक्त करके स्वतंत्र प्रशासन होने की पुरानी प्रथा को फिर से शुरू करने की कोशिश की।

लेकिन, उस समय के पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और कांग्रेस एवं आप समेत दूसरी पार्टियों के कड़े विरोध के बाद यह कदम वापस ले लिया गया था। उस समय शिअद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा था। पंजाब चंडीगढ़ पर अपना दावा करता है। वह यह भी चाहता है कि चंडीगढ़ तुरंत उसे स्थातांतरित कर दिया जाए। मुख्यमंत्री ने हाल ही में फरीदाबाद में हुई उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में यह मांग दोहराई थी।

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    लोकसभा में आज वक्फ संशोधन विधेयक पेश होगा, विरोध की…
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