बारामूला (नेहा): बारामूला जिले के झेलम नदी से एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज सामने आई है, जहां रेत निकालने के दौरान 10वीं सदी ईस्वी का एक प्राचीन शिवलिंग मिला है। यह दुर्लभ खोज खानपोरा, बारामूला में सेना कैंप के पास स्थानीय मजदूरों द्वारा की गई।
यह शिवलिंग 137 सेंटीमीटर लंबा और 160 सेंटीमीटर चौड़ा है, और इसकी नक्काशी उत्कृष्ट कला का परिचायक है। यह न केवल कश्मीर की प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी उजागर करता है।
भारतीय सेना की 22 मीडियम रेजिमेंट, जो बारामूला में तैनात है, ने इस ऐतिहासिक धरोहर को तुरंत संरक्षित करते हुए अपनी सुरक्षा में ले लिया। बाद में औपचारिक रूप से इसे जम्मू-कश्मीर के पुरालेख, पुरातत्व और संग्रहालय विभाग को सौंप दिया गया। शिवलिंग को सुरक्षित रूप से श्रीनगर स्थित एसपीएस म्यूज़ियम पहुंचाया गया, जहाँ इसे संरक्षित कर आम जनता के लिए प्रदर्शित किया जाएगा।
पुरातत्व विभाग के निदेशक, श्री कुलदीप कृष्ण सिधा ने कहा, “यह खोज केवल एक पुरातात्विक उपलब्धि नहीं है, बल्कि हमारी अनंत आध्यात्मिक परंपराओं और जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है।”
अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार की दुर्लभ खोजें क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और यह छात्रों, इतिहासकारों एवं आम जनता के लिए शिक्षाप्रद भी होती हैं। हम इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण और गरिमापूर्ण प्रस्तुति के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं ताकि यह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहे।
इस महत्वपूर्ण खोज में स्थानीय मजदूरों, भारतीय सेना और पुरातत्व विभाग के संयुक्त प्रयास ने भारत की प्राचीन विरासत को सहेजने में सहयोग की मिसाल पेश की है। अब यह शिवलिंग श्रीनगर के एसपीएस म्यूजियम में आम लोगों के दर्शन हेतु उपलब्ध है, जो 10वीं सदी के कश्मीर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत करता है।