नई दिल्ली (नेहा): आतंकवाद की जड़ें किस देश में गहरी जमी हुई हैं, ये तो दुनिया में सभी को पता है। रहा-सहा शराफत का नकाब भी भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के चेहरे से उतार दिया है। ऐसे में पाकिस्तान कभी खुद को आतंकवाद का पीड़ित बता रहा है, तो कभी मान भी रहा है कि उसकी धरती पर आतंक की नस्लें पल रही हैं। हैरानी की बात तो ये है कि इस बार पीपीपी नेता बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने आतंकवाद का ज़िम्मेदार अमेरिका को ठहरा दिया है।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने वाशिंगटन यात्रा के दौरान अफगानिस्तान और आतंकवाद को लेकर ऐसा बयान दिया है, जो अमेरिका को चुभ सकता है। बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने अप्रत्यक्ष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और क्षेत्रीय परिस्थिति को पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है। कहां डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान को क्लीन चिट देना चाहते हैं और कहां बिलावल अमेरिका को ही कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
बिलावल का आरोप है कि अमेरिका ने जब अफगानिस्तान से जल्दबाज़ी में वापसी की, तो उसने वहां बड़ी मात्रा में सैन्य उपकरण छोड़ दिए। उनका दावा है कि ये हथियार अब आतंकवादी समूहों के हाथों में पहुंच गए हैं और वे पाकिस्तान के भीतर इनका इस्तेमाल सुरक्षा बलों के खिलाफ कर रहे हैं। उन्होंने कहा – ‘आपको जानकर हैरानी होगी कि कई बार जब हम पाकिस्तान की सीमा के भीतर आतंकियों से लड़ते हैं, तो उनके पास ऐसे हथियार होते हैं जो हमारी पुलिस के पास भी नहीं हैं।’ बिलावल का सीधा इशारा डोनाल्ड ट्रंप के साल 2020 के फैसले की ओर था।
बिलावल ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि अफगानिस्तान के आतंकवाद का मुकाबला किया जा सके। दिलचस्प ये भी है कि वो तालिबान की बात कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान की उस भूमिका पर चुप्पी साध लेते हैं, जो सालों से आतंकवादी संगठनों को पनाह दे रहे हैं। बिलावल भुट्टो का यह बयान केवल राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीतिक कोशिश भी मानी जा सकती है, जिसमें पाकिस्तान खुद को आतंकवाद का शिकार दिखाकर अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहानुभूति और सहयोग चाहता है।