नैरोबी (नेहा): केन्या एक बार फिर सरकार विरोधी प्रदर्शनों की आग में झुलस गया है। बुधवार को हुए राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के दौरान कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकांश की जान पुलिस की गोलीबारी में गई। ये प्रदर्शन विवादित वित्तीय विधेयक के खिलाफ हो रहे थे, जिसने देशभर में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। राजधानी नैरोबी में हजारों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर मार्च किया। हालात तब बिगड़ गए जब गुस्साई भीड़ ने संसद भवन पर धावा बोल दिया।
कुछ प्रदर्शनकारी संसद की बाड़ फांदकर अंदर घुसने में कामयाब भी हो गए। यह हमला एक साल पहले हुए उन्हीं प्रदर्शनों की याद दिलाता है, जब कर विधेयक के विरोध में भड़की हिंसा में 60 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए आंसू गैस, पानी की बौछारें और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया, लेकिन कई जगहों पर हालात हाथ से निकलते देख पुलिस ने सीधी गोलीबारी का सहारा लिया। एमनेस्टी इंटरनेशनल केन्या के प्रमुख ने अब तक 16 मौतों की पुष्टि की है। उन्होंने कहा, “पुलिस की कार्रवाई क्रूर थी।”
इस बार के विरोध प्रदर्शनों की खास बात यह रही कि इनमें केन्या की युवा पीढ़ी की भागीदारी सबसे अधिक रही। सोशल मीडिया पर #RejectFinanceBill2025 और #OccupyParliament जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। प्रदर्शन का नेतृत्व किसी राजनीतिक दल ने नहीं बल्कि स्वतंत्र कार्यकर्ताओं, छात्रों और नागरिक संगठनों ने किया, जो सरकार के कर सुधारों को गरीबों और मध्यवर्ग पर ‘आर्थिक अत्याचार’ बता रहे हैं।
जिस वित्त विधेयक 2025 को लेकर देश उबाल पर है, उसमें रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं पर कर बढ़ाने, डिजिटल सेवाओं पर नया टैक्स लगाने और वेतन पर अतिरिक्त कटौती जैसे प्रावधान हैं। सरकार का दावा है कि यह कदम राजकोषीय घाटा कम करने के लिए जरूरी है, लेकिन आम लोगों का कहना है कि यह महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही जनता पर अन्याय है। आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने केन्या में बढ़ती हिंसा पर गंभीर चिंता जताई है। यूएन ने केन्याई सरकार से संविधान के दायरे में रहकर शांति बहाल करने की अपील की है। मानवाधिकार संगठनों ने पुलिस की जवाबदेही तय करने की मांग की है।