नई दिल्ली (नेहा): बेंगलुरु भारत की सिलिकॉन वैली के नाम से जाना जाता है, अब अपनी चमक खो रहा है। कभी यह शहर तकनीकी पेशेवरों और स्टार्टअप उद्यमियों के लिए सपनों का गंतव्य था, लेकिन अब यहाँ की सड़कों पर घंटों जाम, हवा में बढ़ता प्रदूषण और रहने की ऊँची लागत ने निवासियों को परेशान कर दिया है। हाल के एक अध्ययन के अनुसार, बेंगलुरु दुनिया का तीसरा सबसे खराब शहर है, ट्रैफिक जाम के मामले में, जहाँ लोग हर साल औसतन 130 घंटे से अधिक सड़कों पर फंसे रहते हैं। इसके अलावा, पानी की कमी और खराब सड़कें इस शहर को और मुश्किल बना रही हैं।
बेंगलुरु की इन समस्याओं के कारण कई लोग अब पास के छोटे शहरों जैसे मैसूर, कोयंबटूर और हुबली की ओर रुख कर रहे हैं। ये टियर-2 शहर न केवल सस्ता जीवन-यापन और बेहतर बुनियादी ढाँचा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि यहाँ शांति और हरियाली भी बेंगलुरु से कहीं अधिक है। उदाहरण के लिए, मैसूर में यातायात की समस्या कम है और किराए व संपत्ति की कीमतें बेंगलुरु की तुलना में कहीं सस्ती हैं। यह प्रवृत्ति भारत के भविष्य के विकास केंद्रों के रूप में छोटे शहरों की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाती है।