नई दिल्ली (राघव): सीबीएसई (CBSE) यानी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अब पढ़ाई के तरीकों में एक बड़ा बदलाव करने जा रहा है। सेशन 2026-27 से 9वीं कक्षा में ओपन बुक असेसमेंट (Open Book Assessment) शुरू किया जाएगा। इसका मकसद छात्रों को रटने से हटाकर समझने और सोचने पर केंद्रित करना है। इस नई प्रणाली में छात्र परीक्षा के दौरान अपनी किताबें, क्लास नोट्स और लाइब्रेरी की किताबें साथ रख सकेंगे और उनका उपयोग उत्तर लिखने में कर सकेंगे।
क्यों लिया गया ये फैसला?
सीबीएसई ने दिसंबर 2023 में 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए ओपन बुक असेसमेंट की एक पायलट स्टडी शुरू की थी। इस स्टडी का मकसद यह देखना था कि क्या छात्र इस तरीके से बेहतर तरीके से सीखते हैं और क्रिटिकल थिंकिंग यानी विश्लेषणात्मक सोच में सुधार आता है या नहीं। इस स्टडी के नतीजों से पता चला कि छात्रों को किताबों का सही तरीके से इस्तेमाल करने में परेशानी हो रही थी। उनके अंक 12% से लेकर 47% के बीच आए। हालांकि, शिक्षकों ने इस पद्धति को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और इसे छात्रों की समझ को बेहतर बनाने की दिशा में एक सही कदम बताया।
सीबीएसई (CBSE) ने सेशन 2026‑27 से क्लास 9 की तीन मुख्य लिखित परीक्षा में ओपन बुक असेसमेंट लागू करने की योजना बनाई है, जिसमें प्रमुख विषय होंगे — भाषा (हिंदी और अंग्रेज़ी), गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान — ताकि छात्र केवल रटने के बजाय गहराई से समझ कर, प्रस्तुति पर जोर देते हुए उत्तर दे सकें। यह कदम National Curriculum Framework for School Education (NCFSE) 2023 और NEP 2020 के तहत आत्म‑निर्भर सोच और क्षमता आधारित (competency‑based) शिक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य सिर्फ तथ्यों को याद करने के बजाय शिक्षा को समझ और अनुप्रयोग की दिशा में बढ़ाना है
क्या होंगे इस बदलाव के फायदे?
ओपन बुक एग्जाम से छात्रों की रटने की आदत में कमी आएगी क्योंकि उन्हें केवल याद कर लिखने से काम नहीं चलेगा। उन्हें उपलब्ध सामग्री—किताबें, नोट्स—को समझकर, आलोचनात्मक सोच के साथ प्रयोग करना होगा, जिससे उत्तर समझदारी से तैयार होंगे, न कि केवल नकल। इससे छात्रों की क्रिटिकल थिंकिंग यानी विश्लेषणात्मक क्षमता में सुधार होता है और इस प्रकार उनकी वास्तविक समझ को परखा जा सकता है, न कि सिर्फ याददाश्त का परीक्षण।