नई दिल्ली (नेहा): अयोध्या राम मंदिर मामले में हालिया बयान पर पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सफाई दी है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण बुनियादी तौर पर अपवित्र कार्य था, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था। अब अपनी सफाई में पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
बता दें एक इंटरव्यू में पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से जब सवाल किया गया कि क्या अपवित्र करने को लेकर हिंदू पक्ष जिम्मेदार था, जैसे कि मूर्ति रखना। इस पर रिटायर्ड सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मस्जिद का निर्माण ही बुनियादी रूप में अपवित्र कार्य था। चंद्रचूड़ के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया था। अब उन्होंने अपने इस बयान को स्पष्ट किया है। एक कार्यक्रम में बोलते हुए जस्टिस उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जो हो रहा है वह यह है कि लोग जवाब के एक हिस्से को उठाकर दूसरे हिस्से के साथ जोड़ देते हैं, जिससे संदर्भ पूरी तरह से हट जाता है।
उन्होंने साफ कहा कि अयोध्या मामले का फैसला आस्था के आधार पर नहीं, बल्कि साक्ष्य और कानूनी सिद्धांतों के आधार पर हुआ था। पूर्व सीजेआई ने कहा कि फैसला 1,045 पन्नों का था क्योंकि मामले का रिकॉर्ड 30,000 पृष्ठों से ज्यादा का था। इसकी आलोचना करने वालों ने फैसला नहीं पढ़ा है। पूरा दस्तावेज पढ़े बिना सोशल मीडिया पर अपनी राय पोस्ट करना आसान है। इंटरव्यू में पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने यह भी बताया कि फैसले में कोर्ट को पुरातात्विक साक्ष्य मिले कि मस्जिद के नीचे एक मंदिर था, जिसे मस्जिद बनाने के लिए तोड़ दिया गया था।
उन्होंने कहा कि अब जब आप स्वीकार करते हैं कि इतिहास में ऐसा हुआ था और हमारे पास पुरातात्विक साक्ष्य के रूप में सबूत मौजूद हैं, तो आप अपनी आंखें कैसे बंद कर सकते हैं? तो इनमें से कई टिप्पणीकार, जिनका आपने जिक्र किया है, वास्तव में इतिहास के बारे में एक चयनात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, इतिहास में एक निश्चित अवधि के बाद जो कुछ हुआ उसके साक्ष्यों को नजरअंदाज करते हैं और ऐसे साक्ष्यों को देखना शुरू करते हैं जो ज्यादा तुलनात्मक हैं। चंद्रचूड़ तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ के सदस्य थे, जिसने नवंबर 2019 में अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया था। साथ ही मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था।