नई दिल्ली (राघव): दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने फेक डिग्री बनाने वाले इंटर स्टेट सिंडिकेट का खुलासा किया है। इस मामले में पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों का सिंडिकेट कई राज्यों में फैला हुआ है। पुलिस ने इनके पास से 228 मार्कशीट, 27 सर्टिफिकेट समेत अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। इस गैंग का मुखिया विक्की है जो कि रोहिणी से ऑपरेट करता था। वह खुद 10वीं पास है और नेता जी सुभाष प्लेस में कॉल सेंटर ऑपरेट करता था। वहीं विवेक गुप्ता नोएडा से ऑपरेट करता था। इसके अलावा सतबीर सिंह फरीदाबाद और नारायण अलग जगह से सेंटर ऑपरेट करते थे। इस ग्रुप का एक साथी राजस्थान की एक जेल में बंद है।
बता दें कि यह पूरा गैंग पिछले 2 साल से एक्टिव है और अभी तक 5 हजार से ज्यादा डिग्री बनाकर लोगों को बेच चुका है। क्राइम ब्रांच ने आरोपियों के पास से मिले फोन और लैपटॉप से 5 हजार डिग्री बनाकर देने का डिजिटल डेटा बरामद किया है। अपराधियों द्वारा बीएमएस, बीटेक, बी फार्मा जैसे कई बड़े कोर्सेस की फेक डिग्री बनाई जा रही थी। जानकारी के मुताबिक, गैंग के अलग-अलग सदस्यों को अलग-अलग टास्क दिया जाता था। पहले यह देखा जाता था बच्चों की मूवमेंट कौन से इलाके में हैं और कहां पर ज्यादा कोचिंग सेंटर बने हुए हैं। वहां पर आरोपी रेंट पर एक कमरा लेते थे और उसके बाद पोस्टर या पैम्फलेट प्रिंट करवा कर सेंटरों पर ड्रिस्ट्रीब्यूट करवाते थे। इसके अलावा कुछ बच्चों को मोबाइल के जरिए ये कॉन्टैक्ट किया करते थे।
इतना ही नहीं गैंग के सदस्य कई कोचिंग सेंटर्स में फर्जी आईडी कार्ड के जरिए जाते और बच्चों को जल्दी डिग्री बनाकर देने का लालाच देते। बता दें कि एक डिग्री के बदले एक से डेढ़ लाख रुपये की वसूली की जाती और फिर डेढ़ महीने के अंदर लड़कों को डिग्री दे दी जाती थी। ज्वाइंट सीपी क्राइम ब्रांच ने बताया कि ये गैंग के सदस्य अब तक कई यूनिवर्सिटी की फेक डिग्री बना चुके हैं। उन डिग्रियों को बच्चों को बेचा जा चुका है। पुलिस के मुताबिक, अब तक फेक डिग्री के आधार पर कई लोग सरकारी और प्राइवेट सेक्टर नौकरी पा चुके हैं। क्राइम ब्रांच इस मामले पर बारीकी से जांच कर रही है कि अब तक फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए कितने लोग नौकरी पा चुके हैं और उनकी तैनाती कहां है।