नई दिल्ली (नेहा): हनी ट्रैप के मामले अब सिर्फ अपराध का मामला नहीं रह गए हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अधिकारी इनके निशाने पर हैं। यह सनसनीखेज खुलासा तब हुआ, जब 31 मई को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक जासूसी रैकेट का पर्दाफाश किया। यह रैकेट इसके लिए एक नाबालिग पाकिस्तानी लड़की समेत विदेशी लड़कियों का इस्तेमाल कर रहा था। इन्हें राजस्थान के डींग जिले से पकड़ा गया। दिल्ली पुलिस ने इन लड़कियों के साथ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले मोहम्मद कासिम और उसके भाई मोहम्मद हसीन को भी गिरफ्तार किया था। हनी ट्रैप में इस्तेमाल की जा रही पकड़ी गई लड़कियों की संख्या छह बताई जा रही है। पुलिस कार्रवाई में यह भी पता चला कि इन लोगों ने एक डॉक्टर को हनी ट्रैप में फंसाकर उससे नौ लाख रुपये भी ऐंठ लिए थे। इसके साथ ही इन्होंने पिछले पांच साल में दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में 12 से ज्यादा हाई-प्रोफाइल लोगों को भी अपना शिकार बनाया था।
आतंकी और अलगाववादी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर के शामिल होने की आशंका को देखते हुए केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने अपनी सतर्कता बढ़ा दी है। दिल्ली में अब तक ऐसे 25 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 10 में पाकिस्तान और बांग्लादेश की लड़कियां शामिल हैं।दिल्ली पुलिस की जांच में पता चला है कि ये लड़कियां इंटरनेट मीडिया और डेटिंग एप के जरिए अपने टारगेट को फंसाती हैं, फिर उनसे ब्लैकमेल कर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करती हैं और मोटी रकम भी ऐंठती हैं। इस साल जनवरी में आनंद विहार स्पा रैकेट में पकड़ी गई 14 लड़कियों में से तीन बांग्लादेशी लड़कियां डेटिंग एप के जरिए हनी ट्रैप में शामिल थीं। पुलिस ने जब इन्हें पकड़ा तो ये छिपे हुए कैमरों से संवेदनशील डेटा जुटा रही थीं। हनी ट्रैप मामले में इस साल जनवरी से मई तक पुलिस कार्रवाई में करीब 320 लड़कियां पकड़ी गईं। इनमें से 85 विदेशी थीं, जिनमें 25 उज्बेक, 10 कजाक, पांच तुर्कमेन, 15-15 बांग्लादेश और पाकिस्तान और 15 अफ्रीकी देशों की थीं, जबकि बाकी 250 स्थानीय थीं।