शोपियां (नेहा): घाटी का “सेब का कटोरा” कहे जाने वाला दक्षिणी कश्मीर का यह जिला, जो पूरे भारत में सालाना लगभग 400 मीट्रिक टन सेब का आपूर्तिकर्ता है, इस समय गहरे संकट से जूझ रहा है। बाग पक्के और रसीले सेबों से लदे हुए हैं, लेकिन बागवान फसल तोड़ने से कतरा रहे हैं।
किसानों के अनुसार, अगर वे सेब तोड़ भी लें, तो भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उपज बाजार तक पहुंचेगी। श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे 2 हफ्ते से ज्यादा समय से बंद है और वैकल्पिक मुगल रोड केवल हल्के वाहनों के लिए खुला है, जबकि भारी ट्रकों पर प्रतिबंध है। नतीजतन सेब, नाशपाती और अन्य फलों से लदे ट्रक कई दिनों तक फंसे रहते हैं और फिर उन्हें खराब हालत में शोपियां लौटने के लिए मजबूर होना पड़ता है। किसानों का कहना है कि नुकसान पहले ही करोड़ों रुपये में पहुंच चुका है।
शोपियां के बागवानों के लिए, बहुत कुछ दांव पर लगा है। जिले की लगभग 90 प्रतिशत आबादी सीधे तौर पर बागवानी पर निर्भर है। सेब की यह फसल हमारी जीवन रेखा है। अगर यही स्थिति बनी रही, तो हमें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। किसानों ने प्रशासन की भी आलोचना की और उस पर राजमार्ग बहाल करने के लिए तत्काल कदम न उठाने का आरोप लगाया। उनकी मांग है कि या तो श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग को तुरंत खोला जाए या फिर राष्ट्रीय बाजारों में समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए फलों से लदे भारी ट्रकों को मुगल रोड पर चलने की अनुमति दी जाए।
इस बीच, लगातार बारिश, बादल फटने और भूस्खलन के कारण पिछले 16 दिनों से श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग अवरुद्ध है। हालांकि मुगल रोड पर यातायात धीमी गति से चल रहा है, लेकिन केवल छोटे यात्री वाहनों को ही जाने दिया जा रहा है। किसानों ने चेतावनी दी है कि तत्काल सरकारी हस्तक्षेप के बिना, इस साल सेब की फसल बागों में ही लटकी रह सकती है, जबकि किसानों की उम्मीदें और कमाई सड़कों पर सड़ जाएगी। कश्मीर भर के विभिन्न फल मंडियों से विरोध प्रदर्शन की खबरें आ चुकी हैं, जहां व्यापारी और किसान राष्ट्रीय राजमार्ग को तत्काल बहाल करने की मांग कर रहे हैं।