नई दिल्ली (नेहा): श्रीहरि भगवान विष्णु के 8वें अवतार जन-जन के आराध्य भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव 16 अगस्त 2025 शनिवार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्र अपनी उच्च राशि वृषभ में और सूर्य स्वराशि सिंह में स्थित रहेगा। इसके अलावा इस दिन वृद्धि और ध्रुव योग भी रहने वाला है। इतने सारे योग संयोगों में आ रही जन्माष्टमी सर्वसिद्धिदायक रहेगी।
इस बार जन्माष्टमी का दिन ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन ग्रहों की चाल श्रेष्ठ है। चंद्र अपनी उच्च राशि में रहने वाला है, सूर्य स्वराशि में रहेगा। ध्रुव और वृद्धि योग रहने के साथ अमृतसिद्धि योग भी रहेगा। इन योगों में श्रीकृष्ण की पूजा करना उनकी विशेष कृपा प्रदान करने वाला रहेगा। श्रीकृष्ण की भक्ति से मनुष्य के पाप कटकर सद्कर्मों का उदय होता है। इससे मनुष्य के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होने लगती है। इस दिन श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: का जाप करने से दुर्लभ चीजें भी मनुष्य को मिलने लगती है।
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मकथा
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मकथा के अनुसार उनका जन्म द्वापर युग में अपने मामा कंस के मथुरा स्थित कारागार में हुआ था। उस समय कंस का अत्याचार चरम पर था। जब कंस विवाह के बाद अपनी अपनी बहन देवकी को उसके ससुराल छोड़ने जा रहा था तभी एक भविष्यवाणी हुई। उसमें कहा गया कि कंस की मृत्यु उसकी बहन देवकी के आठवें पुत्र के हाथों होने वाली है। अपनी मृत्यु के भय से कंस ने तुरंत देवकी और उनके पति वसुदेव को मथुरा के कारागार में ले जाकर बंद कर दिया। उसने उनके सात बच्चों को जन्म लेते ही दीवार पर पटककर मार डाला।
जब 8वें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तो एक दिव्य चमत्कार हुआ। कारागार के ताले खुल गए और वसुदेव जी शिशु को टोकरी में रखकर यमुना पार गोकुल ले गए। वहां यशोदा और नंद बाबा के पास लेजाकर सुला आए और वहां से उनकी नवजात पुत्री को ले आए। इधर कंस जब कारागार में पहुंचा तो उन्हें एक कन्या दिखाई दी। कंस ने जैसे ही कन्या को मारने के लिए दीवार पर पटकना चाहा तो कन्या आकाशीय बिजली बनकर आकाश में अंर्तध्यान हो गई।