नई दिल्ली (पायल): अक्सर लोग किडनी खराब होने के लक्षण शरीर की थकान, पैरों की सूजन या यूरिन में बदलाव से जोड़कर देखते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होता है कि इसकी शुरुआती निशानियां आंखों में भी दिख सकती हैं। आंखें और किडनी, दोनों ही नाजुक नसों और शरीर के फ्लूइड बैलेंस पर निर्भर करती हैं। ऐसे में किडनी में खराबी शुरू होने पर इसका सीधा असर आंखों पर भी पड़ सकता है।
डॉक्टरों के अनुसार अगर आंखों में लगातार सूजन, लालिमा, जलन, सूखापन, धुंधलापन या रंगों को पहचानने में दिक्कत होने लगे, तो यह किडनी की समस्या का संकेत हो सकता है। शुरुआत में ये बदलाव बहुत हल्के होते हैं और लोग इन्हें साधारण थकान समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन अगर साथ में थकान, शरीर में सूजन या यूरिन में झाग भी दिखे, तो यह गंभीर संकेत हो सकता है।
अगर रोजाना आंखों में सूजन बनी रहती है, तो यह ‘Proteinuria’ का संकेत हो सकता है। किडनी के कमजोर होने पर शरीर से जरूरी प्रोटीन यूरिन के साथ बाहर निकलने लगता है, जिसके कारण आंखों के आसपास फ्लूइड जमा होकर सूजन पैदा करता है। ऐसे में यूरिन में झाग दिखना भी एक बड़ा संकेत माना जाता है।
अचानक धुंधलापन, साफ न दिखना या एक चीज़ का दो दिखना आंखों की नसों के खराब होने का संकेत है। हाई बीपी और डायबिटीज जो किडनी खराब होने के मुख्य कारण हैं रेटिना की नसों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इससे आंखों में सूजन, लीक और गंभीर स्थिति में विजन लॉस तक हो सकता है।
किडनी कमजोर होने पर शरीर में मिनरल बैलेंस गड़बड़ा जाता है और टॉक्सिन्स बढ़ जाते हैं। इसका असर आंसू बनने की प्रक्रिया पर पड़ता है, जिससे आंखें सूखी, जलती हुई और चुभन वाली महसूस होती हैं। डायलिसिस कराने वाले लोगों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है।
किडनी की बीमारी में हाई बीपी छोटे ब्लड वेसल्स पर दबाव डालकर उन्हें फाड़ सकता है, जिससे आंखें लगातार लाल रहती हैं। वहीं, लूपस नेफ्राइटिस जैसी बीमारियां भी आंखों में सूजन पैदा कर सकती हैं।
अगर आंखों में सूजन, लालिमा, धुंधलापन, सूखापन या रंगों में बदलाव लगातार बना रहे और साथ ही थकान, पैरों में सूजन या यूरिन में बदलाव महसूस हो तो यह किडनी की शुरुआती खराबी का संकेत हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत किडनी और आंखों की जांच कराना जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर पहचान और इलाज से न केवल किडनी को सुरक्षित रखा जा सकता है, बल्कि आंखों की रोशनी भी बचाई जा सकती है। इसलिए आंखों में दिखने वाले इन छोटे-छोटे बदलावों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें।


