नई दिल्ली (नेहा): असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को घोषणा की कि राज्य में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को पहली बार आधार कार्ड नहीं मिलेगा। यह एहतियाती कदम घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता मिलने से रोकने के लिए उठाया गया है। कैबिनेट बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए हिमंत ने कहा कि अगर किसी को अभी तक आधार कार्ड नहीं मिला है, तो उसे एक सितंबर से केवल एक महीने का समय दिया जाएगा, ताकि वह आधार कार्ड के लिए आवेदन कर सके। 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को अक्टूबर से पहली बार आधार कार्ड जारी नहीं किए जाएंगे।
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के चाय जनजाति (चाय बागान मजदूरों), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को अगले एक वर्ष तक नए आधार कार्ड मिलते रहेंगे। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के अनुसार, आधार नामांकन के लिए कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम पिछले एक साल में बांग्लादेश से घुसपैठ से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अगर कोई भारतीय वयस्क नागरिक आधार कार्ड हासिल करने से छूट जाता है, तो वह संबंधित जिला आयुक्त को आवेदन कर सकता है। जिला आयुक्त उसकी पहचान सत्यापित करेंगे और ”दुर्लभतम” मामलों में आधार कार्ड जारी किया जाएगा।
असम में आम लोगों को 103 प्रतिशत आधार कार्ड जारी हो चुका है। इसका अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति नहीं बचा है और कार्डों की संख्या कुल लोगों की संख्या से अधिक हो गई है। हालांकि, चाय बागान मजदूरों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए यह आंकड़ा 96 प्रतिशत है, जिसका अर्थ है कि इन समूहों के सभी लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है।
हिमंत ने कहा कि पिछले एक साल से हम नियमित रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ रहे हैं और उन्हें वापस खदेड़ रहे हैं। कल हमने सात लोगों को वापस खदेड़ा। 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को पहली बार आधार कार्ड जारी नहीं करना एक एहतियाती उपाय है, ताकि कोई अवैध विदेशी भारतीय नागरिक न बन सके। राज्य में घुसपैठ की आशंका को देखते हुए वयस्कों को पहली बार आधार कार्ड नहीं देने का यह निर्णय स्थायी होगा।