नई दिल्ली (नेहा): जूनियर नेशनल रेसलिंग चैंपियन सागर धनखड़ की हत्या के मुख्य आरोपी और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार की जमानत रद्द सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर दी। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कुमार को जमानत देने संबंधी दिल्ली हाई कोर्ट के 4 मार्च के आदेश को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति करोल ने फैसले का मुख्य अंश पढ़ते हुए सागर के पिता की ओर से जमानत आदेश के विरोध में दायर याचिका को स्वीकार कर लिया। न्यायाधीश ने कहा कि कुमार को एक सप्ताह के भीतर सरेंडर करना होगा।इस बीच सुशील कुमार जमानत पर छूटने के बाद उत्तर रेलवे में अपनी ड्यूटी पर लौट आया था, लेकिन अब उसे 7 दिन के अंदर सरेंडर करना होगा और जेल जाना होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ मृदुल ने मृतक के पिता अशोक धनखड़ का प्रतिनिधित्व किया, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी सुशील कुमार की ओर से शीर्ष अदालत में पेश हुए। सुशील कुमार पर कई अन्य लोगों के साथ मिलकर 4 मई, 2021 को दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम की पार्किंग में कथित तौर पर एक संपत्ति विवाद को लेकर धनखड़ और उनके दो दोस्तों सोनू और अमित कुमार पर हमला करने का आरोप है। हरियाणा के रोहतक के 23 वर्षीय पहलवान धनखड़ की हमले में लगी चोटों के कारण मौत हो गई, जबकि उनके दो साथी घायल हो गए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार धनखड़ की मौत चोट के कारण हुई।
इस घटना के बाद ओलंपियन की तलाश में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया और 18 दिनों तक पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा में भागने के बाद गिरफ्तार किया गया। दिल्ली पुलिस ने मुंडका इलाके में गिरफ्तार किया जब वह एक नेशनल स्तर के एथलीट से उधार ली गई स्कूटी पर सवार होकर नकदी लेने आया था। 23 मई, 2021 को गिरफ्तारी के बाद सुशील को रेलवे की नौकरी से निलंबित कर दिया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, जहां वह अपनी जमानत के आदेश तक रहा।
दिल्ली की एक निचली अदालत ने अक्टूबर 2022 में सुशील कुमार और 17 सह-आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत आरोप तय किए, जिनमें हत्या, दंगा, आपराधिक साजिश, अपहरण, डकैती और शस्त्र अधिनियम के तहत अपराध शामिल हैं। दिल्ली पुलिस के आरोपपत्र में सुशील कुमार को इस ग्रुप का सरगना बताया गया है और आरोप लगाया गया है कि अपने घटते प्रभाव की अफवाहों से अपने अहंकार को ठेस पहुंचाने के बाद कुश्ती समुदाय में अपना प्रभाव फिर से स्थापित करने के लिए उसने यह हमला करवाया। सुशील कुमार ने इन आरोपों से इनकार किया है।
उच्च न्यायालय में अपनी जमानत याचिका में सुशील कुमार ने तर्क दिया कि वह पहले ही साढ़े तीन साल जेल में बिता चुका है और मुकदमा जल्द खत्म होने की संभावना नहीं है। अब तक अभियोजन पक्ष के 222 गवाहों में से केवल 31 से ही पूछताछ हुई है। उच्च न्यायालय ने लंबी कैद और मुकदमे की धीमी गति को देखते हुए उन्हें जमानत दे दी थी। कुमार ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक और 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीता था।