हाजीपुर (पायल): बिहार के हाजीपुर में मंगलवार का दिन अचानक हलचल से भर गया, जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की टीम ने पूर्व मध्य रेलवे के निर्माण विभाग के दफ्तर में धमाकेदार छापेमारी कर दी। आमतौर पर शांत रहने वाला यह सरकारी परिसर कुछ ही मिनटों में अफरा-तफरी के माहौल में बदल गया। वजह- रेलवे निर्माण से जुड़ी भारी-भरकम रिश्वतखोरी का खुलासा, जिसमें करोड़ों रुपये की कैश बरामद की गई और कई अधिकारियों को हिरासत में लिया गया।
CBI अधिकारियों ने छापेमारी के दौरान रेलवे कंस्ट्रक्शन कार्यालय से एक वरिष्ठ इंजीनियर और दो निजी कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया। जांच के दौरान लगभग एक करोड़ रुपये नकद बरामद हुए, जिन्हें अलग-अलग पैकेटों में बांटा गया था। माना जा रहा है कि ये रकम विभिन्न अधिकारियों तक पहुंचाई जानी थी।
सूत्रों के अनुसार, झारखंड स्थित एक संवेदक को बिहार के कई जिलों में निर्माण कार्य का ठेका दिया गया था। यह प्रोजेक्ट सुगौली (मोतिहारी) से लेकर अररिया जिले तक फैला हुआ है। करीब एक करोड़ रुपये की जो रकम पकड़ी गई, वह कथित तौर पर इसी निर्माण कार्य से जुड़ी रिश्वत मानी जा रही है।
छापेमारी के दौरान निम्न लोग हिरासत में लिए गए-
डिप्टी चीफ इंजीनियर–II आलोक कुमार
कार्यालय क्लर्क आलोक कुमार दास
कार्यालय के चपरासी मनीक दास
इसके अलावा संवेदक से जुड़े दो और व्यक्तियों को भी टीम अपने साथ ले गई।
बरामद रकम इतनी ज्यादा थी कि CBI ने मौके पर ही नोट गिनने की मशीन बुलवाई। देर रात तक पैसों की गिनती और दस्तावेजों की जांच चलती रही। इसके साथ CBI अधिकारियों ने निर्माण विभाग के पूरे परिसर में स्थित सभी कमरों, केबिनों और रिकॉर्ड सेक्शन की गहन तलाशी ली।
मामला दर्ज करने के बाद एजेंसी ने रैकेट में जुड़े अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के घरों व ठिकानों पर भी कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच एजेंसी यह पता लगाने में जुटी है कि रिश्वत की यह रकम किस-किस तक पहुंचने वाली थी और घूसखोरी का यह नेटवर्क कितना बड़ा है।


