नई दिल्ली (नेहा): बिहार में एसआईआर के बाद एक अगस्त को वोटर लिस्ट का मसौदा (ड्राफ्ट) जारी किया गया, जिसे लेकर विपक्ष ने कई सवाल खड़े किए हैं। तेजस्वी यादव ने शनिवार को प्रेस से बात करते हुए कहा कि हमारे सवाल से ईसी बच क्यों रहा है? ट्रांसपेरेंसी नहीं है। तेजस्वी ने दावा किया है कि मेरा नाम वोटर लिस्ट से कट गया है। मैंने गणना प्रपत्र भरा था, जो प्रकिया नाम चेक करने की है उसी के तहत चेक किया, तो मेरा नाम नहीं है।
तेजस्वी ने कहा, “हम लोग शुरु से एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे थे। शुरु से हम लोग कह रहे थे कि गरीब मतदाताओं का नाम कटेगा। लाखों मतदाताओं के नाम काटे गए। मतदाता सूची से जिनका नाम कटा, उनका नाम क्यों नाम कटा उसकी जानकारी चुनाव आयोग देगा। ऐसा चुनाव आयोग ने कहा था। वोटर लिस्ट ड्राफ्ट जारी कर तो दिया, लेकिन यह जानकारी नहीं दी गई। दो लोग जो गुजराती हैं, वो जो कहेंगे उसी का नाम वोटर लिस्ट में आएगा।”
तेजस्वी ने सुल्तानगंज विधानसभा का लिस्ट दिखाते हुए कहा कि इस लिस्ट में ये नहीं बताया गया है की जिनका नाम कटा है, वो किस कारण से कटा है. करीब साढ़े आठ प्रतिशत नाम काटे गए हैं। चुनाव आयोग ने इसमें ना तो बूथ ना वोटर का नाम दिया न एपिक नंबर दिया। तेजस्वी यादव ने ये भी सवाल किया कि क्या एसआईआर के दौरान क्या फिजिकल वेरिफिकेशन हुआ? क्या बीएलओ तीन बार मतदाताओं के पास गए? जो 65 लाख मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से कटा क्या उनको या उनके किसी रिश्तेदार को नोटिस दिया गया था की नाम कटेगा? आप टारगेटेड काम कर रहे हैं। लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं। आखिर चुनाव आयोग मुख्य बातें क्यों छुपा रहा है? पारदर्शिता क्यों नहीं रखी गई?
तेजस्वी यादव ने प्रेस से बात करते हुए चुनाव आयोग से मांग की कि “ईसी बूथ वाइज लिस्ट पॉलिटिकल पार्टियों को दे। आपत्ति दर्ज करने की समय सीमा बढ़ाई जाए, इसके लिए सिर्फ सात दिनों का वक्त दिया गया है। जिन 65 लाख मतदाताओं का नाम कटा उनका नाम जारी किया जाए। क्यों नाम कटा यह कारण बूथ वाइज बताया जाए। सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले। उनसे हमारी मांग है कि ईसी से पूरी जानकारी मांगें। ये तानाशाही है लोकतंत्र नहीं है। हम चुनौती देते हैं ज्ञानेश गुप्ता जी अगर आपने ट्रांसपेरेंसी रखा है, तो हमारे सवालों का जवाब दीजिए।”