कोलकाता (नेहा): पश्चिम बंगाल में एक शख्स पर पांच साल पहले रेप और धोखाधड़ी का आरोप लगा। केस पांच साल चला और पिछले हफ्ते उस आरोपी शख्स को बरी कर दिया गया। जब केस दर्ज हुआ तो उसे 51 दिन जेल में भी बिताने पड़े। केस दर्ज कराने वाली महिला ने कोर्ट में कहा कि उसने गलतफहमी के कारण FIR दर्ज कराई थी।मामला 24 नवंबर 2020 का है। महिला ने बारटोला थाने में शख्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। उसने न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने भी गवाही भी दी। टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड के दौरान भी उसने रेप का आरोप लगाते हुए उस शख्स की पहचान की थी।
अपनी शिकायत में, महिला ने आरोप लगाया था कि जनवरी 2017 में वह आरोपी से मिली। उसने उसे प्रपोज किया। शादी का वादा किया। फिर दोनों के संबंध बन गए। महिला ने आरोप लगाया कि शख्स ने उसे वादा किया कि वह 23 नवंबर, 2020 को उससे शादी करेगा। वह उसे एक होटल में ले गया और उसके साथ रात बिताई। उसके साथ फिजिकल हुआ। लेकिन अगली सुबह, उसने कहा कि वह उससे शादी नहीं कर पाएगा और भाग गया। महिला ने अगले ही दिन पुलिस में उसके शिकायत दर्ज कराई थी।
आरोपी आदमी को 25 नवंबर, 2020 को पुलिस ने गिरफ्तार किया। वह जेल में रहा और 51 दिन के बाद उसे 14 जनवरी 2021 को जमानत मिली। मार्च 2021 में, पुलिस ने उस शख्स के खिलाफ कोर्ट में रेप और धोखाधड़ी की चार्जशीट दाखिल की। मार्च 2025 में केस का ट्रायल शुरू हुआ। अदालत में शिकायतकर्ता महिला सबसे पहले गवाही देने आई। 20 मार्च 2025 को महिला ने जज अनिंद्य बनर्जी को बताया कि उसका उस आदमी के साथ लगभग 4 से 5 साल पहले संबंध था और उसके साथ शारीरिक संबंध थे। उनके बीच किसी बात को लेकर गलतफहमी हो गई थी, जिसके कारण, उसने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। FIR गलतफहमी के कारण दर्ज की गई थी। उसे शिकायत के बारे में कुछ भी याद नहीं है। महिला ने यह भी कहा कि शिकायत उसकी एक दोस्त ने लिखी थी। उसमें क्या लिखा था, उसे वह भी नहीं पता।
पुलिस ने दावा किया कि पुलिस को महिला ने लिखित शिकायत की थी। उसने CrPC की धारा 164 के तहत मैजिस्ट्रेट के सामने बयान भी दर्ज किया था। आरोपी की पहचान परेड में आरोपी की पहचाना भी थी। उस होटल की डीटेल भी थी, जहां उस शख्स ने महिला के साथ रात गुजारी थी। लेकिन जज बनर्जी संतुष्ट नहीं थे। अपने छह पन्नों के आदेश में उन्होंने लिखा, ‘महिला के साक्ष्य से प्रतीत होता है कि आरोपी के खिलाफ उसका एकमात्र आरोप यह था कि उसने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। ऐसा प्रतीत होता है कि दो वयस्क ने आपसी सहमति से यौन संबंध बनाए।
जज ने कहा कि आरोपी ने महिला के साथ यौन संबंध बनाए, यह साबित नहीं हो पाया कि यह रेप था। आरोपी को बरी करते हुए, जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष के किसी भी अन्य गवाह ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया। अभियोजन पक्ष IPC की धारा 417/376 के तहत आरोप को साबित करने में बुरी तरह विफल रहा है। आरोपी संदेह का लाभ पाने का हकदार है। मैं उसे दोषी नहीं पाता।म ऐसा करते हैं, तो हमें इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।