यमुनानगर (नेहा): बाडी माजरा में पश्चिमी यमुना नहर पर 100 साल पहले बना पुल मंगलवार शाम को टूटकर गिर गया। हालांकि, सिंचाई विभाग ने पुल को कंडम घोषित कर दिया था, लेकिन आवाजाही लगातार जारी थी। सोमवार शाम और मंगलवार सुबह छठ पर्व पर इस पुल से हजारों श्रद्धालु गुजरे थे। मेयर सुमन बहमनी, मंडल अध्यक्ष शुभम राणा व अन्य अधिकारियों की गाड़ियां भी इस पुल से गुजरी थीं। गनीमत रही कि श्रद्धालुओं की भीड़ के दौरान यह हादसा नहीं हुआ। हालांकि, सिंचाई विभाग की ओर से मंगलवार दोपहर को दोनों ओर मिट्टी डालकर रास्ता रोक दिया गया, लेकिन इससे पहले सावधानी बोर्ड भी पुल के पास नहीं लगाया हुआ था।
पश्चिमी यमुना नहर पर तीन साल पहले आठ करोड़ रुपये की लागत से नए पुल का निर्माण होने से पहले पुराना पुल कंडम घोषित कर दिया गया था। सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, यह पुल करीब 100 साल पुराना था। पुल के उस पार बाडी माजरा, तीर्थ नगर, पांसरा, ताजकपुर सहित अन्य कई गांव हैं। साथ ही सहारनपुर की ओर से जाने वाले भी लोग भी इसी पुल से होकर गुजरते हैं। बराबर में दूसरा पुल भी बना हुआ है, लेकिन इस पुल से भी बराबर आवाजाही रहती है।
टूटे पुल को देखने पहुंचे राम बिहारी व जुगल किशोर ने बताया कि शाम करीब सवा चार बजे धड़ाम की आवाज आई। उन्होंने देखा कि पुल के बीच का एक हिस्सा नहर में गिर गया है। उस दौरान पुल पर कोई वाहन या पैदल यात्री नहीं था। एक दिन पहले इसी घाट पर छठ पूजन करने पहुंचे श्रद्धालुओं का तांता लगा था। विभाग की ओर से ना तो पुल को तोड़ा गया और ना ही बंद किया गया। यहां तक कि पुल पर कोई चेतावनी बोर्ड भी नहीं लगाया गया था, जबकि विभाग को पुल की स्थिति के बारे में अच्छी तरह से जानकारी थी। इसके बावजूद पुल से आवाजाही रोकने के कोई प्रबंध नहीं किए गए।
नहर के पुननिर्माण में लापरवाही के कारण पुल को नुकसान पहुंचा है। इसी कारण पुल गिरा है। कार्य के दौरान पुल की स्लैब में दरार आ गई थी। मैं सवा चार बजे पुल के एक सिरे पर बैठा था। देखते-देखते पुल के पिलरों के बीच का हिस्सा गिर गया। आवाज ऐसी हुई जैसे बम धमाका हुआ हो। मैंने कल पुल के इसी हिस्से में दरार देखी थी। इसकी जानकारी पुलिस को भी दी। पुलिस ने बल्लियां लगा आवाजाही रोक दी थी। सुबह भी दो पुलिसकर्मी लोगों को पुल पर जाने से रोक रहे थे, लेकिन लोगों ने उनकी एक न सुनी।


