नई दिल्ली (नेहा): उनके सराहे बिना खेल अधूरा सा लगता है वो इंसान जिनकी आवाज़ सिर्फ़ निर्णय नहीं लाती थी, पर गरिमा, ईमानदारी और क्रिकेट की आत्मा का अहसास भी कराती थी। डिकी बर्ड एक नाम, एक मिसाल, एक उपदेश आज हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी विरासत अनंत है। उन्होंने सिर्फ़ सीमाएँ नहीं तय कीं, बल्कि आदर्श भी छोड़े। तीन वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में अंपायरिंग, भारत-इंग्लैंड के भावनात्मक मुकाबलों में न्याय के दांव-पेंचों से ऊपर उठकर।
बर्ड की मुस्कान, उनका चमकता अंदाज़, उनका शांत लेकिन अडिग फैसला ये वो चीजें थीं जिससे खिलाड़ी, दर्शक और आलोचक सब प्रभावित होते थे। लोकप्रिय और महान अंपायर हेरोल्ड ‘डिकी’ बर्ड का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बर्ड ने 1973 और 1996 के बीच अपने लंबे करियर में 66 टेस्ट और 69 एकदिवसीय मैचों में अंपायरिंग की थी।