पटना (नेहा): विपक्ष के विरोध के बीच वक्फ संशोधन बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पारित हो गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा। वहीं, वक्फ संसोधन बिल को राज्यसभा में मंजूरी मिलते ही जेडीयू के दो मुस्लिम नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। जेडीयू द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक को समर्थन देने के बाद मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है। जेडीयू के अल्पसंख्यक राज्य सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक ने शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को संबोधित एक पत्र के माध्यम से अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने मुसलमानों का सारा विश्वास खो दिया है, जो मानते थे कि पार्टी धर्मनिरपेक्ष है।
पत्र में मलिक ने लिखा कि ‘हमारे जैसे लाखों भारतीय मुसलमानों का दृढ़ विश्वास था कि आप पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के ध्वजवाहक हैं, लेकिन अब यह विश्वास टूट गया है।’ मोहम्मद शाहनवाज मलिक ने कहा कि जिस तरह से जेडीयू सांसद ललन सिंह ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया है, उससे मुसलमानों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है। इसक साथ ही मलिक ने अपने पत्र में ललन सिंह द्वारा बिल के समर्थन में दिए गए भाषण का भी जिक्र किया। मलिक ने कहा कि यह विधेयक संविधान के कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इस विधेयक के जरिए भारतीय मुसलमानों को अपमानित और बदनाम किया जा रहा है।
मोहम्मद शाहनवाज मलिक ने लंबे समय तक जेडीयू में रहने पर भी दुख जताया। उन्होंने कहा कि मुझे खेद है कि मैंने अपने जीवन के कई साल पार्टी को दिए। उन्होंने घोषणा की कि वह जेडीयू की प्राथमिक सदस्यता और अन्य सभी जिम्मेदारियों से इस्तीफा दे रहे हैं। इस्तीफे की एक प्रति जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अशरफ अंसारी को भी भेजी गई है। इससे पहले, मोहम्मद कासिम अंसारी ने भी जनता दल (यूनाइटेड) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि पार्टी ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित करने का समर्थन किया था। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडी(यू) प्रमुख नीतीश कुमार को लिखे अपने इस्तीफे में अंसारी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर पार्टी के रुख ने लाखों मुसलमानों को गहरी ठेस पहुंचाई है।