नई दिल्ली (नेहा): 18 साल बाद इंग्लैंड के पूर्व ऑलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने उस ऐतिहासिक रात की सच्चाई स्वीकार की है, जब भारत के युवराज सिंह ने टी20 विश्व कप 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ एक ओवर में लगातार छह छक्के जड़कर इतिहास रच दिया था। फ्लिंटॉफ ने माना कि उस मैच के दौरान उन्होंने युवराज के साथ बहस में हद पार कर दी थी, और वही पल युवराज के अंदर की आग को भड़का गया जिसने क्रिकेट की दुनिया को कभी न भूलने वाला नजारा दिया।
सितंबर 2007, डरबन (दक्षिण अफ्रीका) में भारत और इंग्लैंड के बीच टी20 विश्व कप का ग्रुप मैच खेला जा रहा था। भारत पहले बल्लेबाजी कर रहा था और 18 ओवर तक स्कोर 171 रन तक पहुंच चुका था। युवराज सिंह उस समय मैदान पर सेट थे और भारत को तेज रनों की जरूरत थी ताकि बड़ा स्कोर बनाया जा सके। इसी बीच 18वें ओवर के बाद एंड्रयू फ्लिंटॉफ और युवराज सिंह के बीच तीखी नोकझोंक हुई। दोनों खिलाड़ियों ने एक-दूसरे से कुछ ऐसे शब्द कहे जिन्हें टीवी कैमरों ने कैद तो किया, लेकिन ऑडियो कभी सार्वजनिक नहीं हुआ। माहौल गरम था, फ्लिंटॉफ के कुछ उकसाने वाले शब्द युवराज को बुरी तरह खटक गए. इसके बाद जो हुआ, वह क्रिकेट इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय बन गया।
फ्लिंटॉफ के साथ झगड़े के तुरंत बाद इंग्लैंड के युवा तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड को 19वां ओवर फेंकने के लिए बुलाया गया।
ओवर की पहली ही गेंद पर युवराज ने लंबा छक्का जड़ा, और फिर रुके नहीं।
छह गेंदें, छह छक्के जड़े
पूरे स्टेडियम में जोश, उत्साह और हैरानी का माहौल था।
भारत ने इस ओवर से 36 रन जोड़े और स्कोर 218/4 तक पहुंच गया।
भारत ने यह मैच 18 रनों से जीत लिया और टूर्नामेंट में अपनी स्थिति मजबूत कर ली. बाद में यह वही भारतीय टीम बनी जिसने टी20 विश्व कप की पहली ट्रॉफी जीती।
‘Beard Before Wicket’ पॉडकास्ट में एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने इस घटना पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, “युवराज और मैं अक्सर मैदान पर मजाक-मजाक में भिड़ते रहते थे। लेकिन उस दिन मैं बहुत गुस्से में था। मेरा टखना जख्मी था और मुझे लग रहा था कि यह मेरा आखिरी मैच हो सकता है। उस झुंझलाहट में मैंने युवराज से ऐसी बात कह दी जो नहीं कहनी चाहिए थी। मैं मानता हूं, उस दिन मैंने पहली बार मैदान पर लाइन क्रॉस की थी।” फ्लिंटॉफ ने आगे कहा, “युवराज का गुस्सा सही था. उसने वही गुस्सा मुझ पर नहीं, बल्कि स्टुअर्ट ब्रॉड पर निकाला। असल में वे छक्के मुझे पड़ने चाहिए थे, ब्रॉड को नहीं।”
फ्लिंटॉफ ने उस ओवर के दौरान की अपनी मानसिक स्थिति का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया, “जब युवराज ने ब्रॉड की पहली गेंद पर छक्का मारा, मैं बाउंड्री पर फील्डिंग कर रहा था। उसने शॉट मारने के बाद सीधा मेरी ओर देखा। मैंने सोचा, ठीक है, गुस्सा ठंडा हो जाएगा। लेकिन फिर दूसरा छक्का आया, उसने फिर मुझे घूरा. तब मुझे समझ आ गया था कि आज कुछ बड़ा होने वाला है।” उन्होंने कहा, “जब पांचवां छक्का लगा, मैंने सोचा अब छठा भी जाएगा और वही हुआ। मुझे तब भी याद है, उस ओवर के बाद पूरा स्टेडियम गूंज उठा था। वो युवराज का पल था।”
फ्लिंटॉफ ने यह भी माना कि उस रात की घटना ने युवराज सिंह के करियर को नई दिशा दी। उन्होंने कहा, “उस ओवर के बाद युवराज का आत्मविश्वास अलग स्तर पर पहुंच गया। उसने न सिर्फ उस मैच में बल्कि पूरे टूर्नामेंट में शानदार खेल दिखाया। और कुछ साल बाद 2011 विश्व कप में वही खिलाड़ी भारत को चैंपियन बना गया।” वास्तव में, युवराज सिंह ने 2011 विश्व कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब जीता और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ते हुए भी अपने करियर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।


