नई दिल्ली (राघव): रिटायर्ड प्लेयर्स की लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया है। भारत के अनुभवी लेग स्पिनर पीयूष चावला ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया है। उन्होंने एमएस धोनी की कप्तानी वाली 2007 में टी20 वर्ल्ड कप और 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम में अहम भूमिका निभाई थी। 35 वर्षीय चावला ने शुक्रवार को इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट के जरिए यह घोषणा की। इस तरह उन्होंने दो दशक से अधिक के अपने पेशेवर करियर को अलविदा कह दिया। चावला ने अपने संदेश में अपने करियर के यादगार पलों को याद किया। उन्होंने भारतीय जर्सी पहनने के दौरान मिली खुशियों के लिए आभार व्यक्त किया। उनके इस फैसले से 2025 में खेल से दूर होने वाले भारतीय दिग्गजों की सूची और लंबी हो गई है। यह उस पीढ़ी के अंत का प्रतीक है जिसने भारत को कुछ सबसे यादगार क्रिकेट पल दिए।
चावला ने अपने रिटायरमेंट के बारे में बात करते हुए कहा कि अब ‘इस खूबसूरत खेल को अलविदा कहने’ का समय आ गया है। उन्होंने गर्व से 2007 और 2011 के वर्ल्ड कप में अपने योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि ये अनुभव हमेशा उनके दिल में रहेंगे। चावला ने कहा कि वे मैदान से दूर जा रहे हैं, लेकिन क्रिकेट हमेशा उनके साथ रहेगा। उन्होंने इस यात्रा को आशीर्वाद बताया और कहा कि अब वे खेल से आगे जीवन देखना चाहते हैं। क्रिकेट से उन्होंने जो सीखा है, उसे वह हमेशा याद रखेंगे।
चावला ने अपने कोचों, परिवार और क्रिकेट संघों को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने उनके करियर को बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने कोच केके गौतम और स्वर्गीय पंकज सारस्वत को धन्यवाद दिया। चावला ने अपने परिवार को अपनी ताकत बताया। उन्होंने अपने दिवंगत पिता को भी याद किया, जिन्होंने हमेशा उन पर विश्वास किया। उन्होंने बीसीसीआई, उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) और गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन (जीसीए) को भी धन्यवाद दिया। इन संस्थाओं ने उन्हें आगे बढ़ने और खुद को साबित करने का मौका दिया।
पीयूष चावला ने क्रिकेट में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में तीन मैच खेले और सात विकेट लिए। वनडे में उन्होंने 25 मैच खेले और 32 विकेट लिए। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4/23 रहा। उन्होंने भारत के लिए सात टी20I भी खेले और चार विकेट लिए। आईपीएल में उन्होंने सबसे ज्यादा प्रभाव डाला। उन्होंने 181 मैचों में 179 विकेट लिए। वह आईपीएल के इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ियों में से एक हैं। उनकी गेंदबाजी में हमेशा निरंतरता रही है। इस वजह से वे हर टीम के लिए महत्वपूर्ण खिलाड़ी रहे।