नई दिल्ली (नेहा): आज की बदलती लाइफस्टाइल में फर्टिलिटी रेट्स भी तेजी से बदल रहे हैं. कई स्टडी में पाया गया है कि बढ़ती बांझपन की कुल मामलों में 40 से 50 प्रतिशत हिस्सेदारी पुरुषों से जुड़े कारणों की होती है। पुरुषों की फर्टिलिटी कई वजहों से प्रभावित होती है, जिनमें धूम्रपान, ज्यादा शराब पीना और बैठे-बैठे रहने वाली लाइफस्टाइल प्रमुख कारण माने जाते हैं। दुनियाभर में फर्टिलिटी घट रही है, ऐसे में पुरुषों के लिए इन लाइफस्टाइल फैक्टर्स को समझना और समय रहते सुधार करना बेहद जरूरी हो जाता है।
सिगरेट का धुआं स्पर्म की क्वालिटी को बुरी तरह प्रभावित करता है। इसमें मौजूद हानिकारक केमिकल्स और भारी धातुएं जैसे कैडमियम और लेड स्पर्म के DNA को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे स्पर्म की मोलालिटी कम हो जाती है, यानी स्पर्म का आगे बढ़कर एग्स तक पहुंचने की क्षमता घट जाती है, इसका सीधा असर फर्टिलाइजेशन पर पड़ता है और गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। कई वैश्विक अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि स्मोकर्स की स्पर्म कंसन्ट्रेशन नॉन-स्मोकर्स की तुलना में 12 से 20 प्रतिशत तक कम होती है। चलिए, आपको बताते हैं कि सिगरेट और शराब के अलावा किन वजहों से इनफर्टिलिटी बढ़ रही है। स्मोकिंग और शराब के अलावा इसके तमाम कारण होते हैं, जिसकी वजह से इनफर्टिलिटी तेजी से बढ़ रही है।
दुनिया भर में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला अवैध नशा कैनबिस (मारिजुआना) है, और इसके उपभोक्ताओं में पुरुषों की संख्या सबसे अधिक पाई जाती है। अगर कोई पुरुष हफ्ते में एक से ज्यादा बार, लगातार तीन महीने तक कैनबिस का सेवन करता है, तो उसकी स्पर्म काउंट और स्पर्म कंसन्ट्रेशन कम हो सकती है। अगर इसके साथ अन्य ड्रग्स या शराब भी ली जाए तो नुकसान और बढ़ जाता है।
जैसे-जैसे पुरुषों का BMI बढ़ता है, वैसे-वैसे शरीर की फैट स्क्रोटम के आसपास बढ़ने लगती है। इससे वहां का तापमान बढ़ जाता है, जो स्पर्म बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। बढ़ी हुई चर्बी से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस भी बढ़ता है, जिससे स्पर्म की गतिशीलता, DNA क्वालिटी और एग के साथ इंटरैक्शन, तीनों प्रभावित होते हैं।
चाहे तनाव काम का हो, परिवार का या किसी भी अन्य कारण से हो, पुरुषों में लगातार साइकोलॉजिकल स्ट्रेस से स्पर्म क्वालिटी बिगड़ सकती है। कई बार तनाव के कारण सीमन पैरामीटर्स असामान्य हो जाते हैं, जिससे पिता बनने की संभावना कम हो जाती है।
स्पर्म की गुणवत्ता काफी हद तक खाने पर निर्भर करती है। जो लोग ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन से भरपूर डाइट लेते हैं, जैसे मेडिटेरेनियन डाइट उनमें स्पर्म पैरामीटर्स बेहतर देखे जाते हैं। इस तरह की डाइट में सैचुरेटेड और ट्रांस फैट बहुत कम होते हैं, जो खराब सीमन क्वालिटी से जुड़े माने जाते हैं।
हालांकि इसकी कोई सख्त सीमा तय नहीं है, लेकिन 40 साल से ऊपर की उम्र को आमतौर पर एडवांस्ड पिता बनाने का उम्र माना जाता है। उम्र बढ़ने के साथ स्पर्म में जेनेटिक बदलाव भी आते हैं, जिससे होने वाले बच्चे में कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।


